पशु तस्करी रोकने बीएसएफ की तैयारी
मानसून: आइजी ने तैयार की रूपरेखा
कोलकाता. कोविड-19 महामारी के बीच देश की सीमा पर तस्कर भी सक्रिय होने लगे हैं। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को आशंका है कि इस बार भी मानसून के दौरान सीमा पर पशु तस्कर बाज नहीं आएंगे। इसके मद्देनजर पश्चिम बंगाल में पडऩे वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा से पशुओं की तस्करी रोकने के लिए बीएसएफ की दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है। फ्रंटियर के महानिरीक्षक योगेश बहादुर खुरानिया ने हाल ही में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में पशु तस्करी को रोकने की तैयारी की रूपरेखा तैयार करने के अलावा आइजी ने पूरी स्थिति की समग्र समीक्षा की और पिछले साल की ही तरह तस्करी पर पूरी तरह रोक लगाने के लिए पुख्ता रणनीति बनाई। उन्होंने बीएसएफ जवानों को अभी से ही बेहद सतर्क रहने का निर्देश दिया।
सूत्रों के मुताबिक आइजी ने स्पष्ट कहा कि इस मानसून में भी सीमा सुरक्षा बल पशु तस्करों पर पूरी तरह लगाम लगाएगा और तस्करी के प्रयासों को विफल करेगा। सूत्रों ने बताया कि बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि दक्षिण बंगाल की गंगा, महाभंगा, पुनर्रभावा, सोनाई, इच्छामती आदि नदियों में मानसून के दौरान जब बाढ़ आएगी तो किस रणनीति के तहत पशु तस्करी को रोकना है।
मानसून: ऐसे होती है पशु तस्करी
हर साल मानसून के समय तस्कर सैकड़ों की संख्या में पशुओं को सीमा रेखा से 10- 15 किलोमीटर पीछे नदियों में केले के स्तंभ या बांस के बेड़े से बांधकर पानी की धारा में बहा देते हैं और बांग्लादेश में प्रवेश कराने का प्रयास करते हैं। पिछले वर्ष तस्करों ने जवानों को शारीरिक नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ पशुओं के शरीर पर सॉकेट बम भी बांध दिए थे। इन सबको विफल करते हुए जवान नियमित नौकाओं के जरिए गश्त लगाकर तस्करों पर नकेल कस रहे हैं।
स्थानीय पुलिस भी करती है मदद
शमशेरगंज, सूती, रानीनगर, धुलियान आदि ऐसे इलाके के पुलिस थानों ने जवानों की काफी मदद की है। थाना प्रभारी तथा बीएसएफ के कंपनी कमांडरों ने संयुक्त ऑपरेशन करके सभी घाटों पर नियमित छापेमारी की तथा लगातार निगरानी रखकर पिछले साल हजारों पशुओं को तस्करी से बचाया, बड़ी संख्या में तस्करों को गिरफ्तार किया और गाडिय़ां जब्त की।
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