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कोलकाता

‘हमारा पूरा जीवन चक्रव्यूह और हम सभी अभिमन्यु’

वनबंधु परिषद कोलकाता का 29वां वार्षिकोत्सव—कला मंदिर में मंचित नाटक ‘चक्रव्यूह’ में ‘कृष्ण’ के जीवंत अभिनय देखने उमड़ा जनसैलाब—एकल अभियान से जुडऩे का आह्वान

कोलकाताOct 28, 2018 / 10:42 pm

Shishir Sharan Rahi

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‘हमारा पूरा जीवन चक्रव्यूह और हम सभी अभिमन्यु’


कोलकाता. हमारा पूरा जीवन एक चक्रव्यूह है और हम सभी अभिमन्यु। टीवी सीरियल महाभारत में कृष्ण के किरदार से कृष्ण के रूप में देशभर में मशहूर अभिनेता नितीश भारद्वाज ने रविवार को कला मंदिर में मंचित नाटक ‘चक्रव्यूह’ देखने आए दर्शकों को संबोधित करते हुए कर्म का संदेश दिया। वनवासियों के सर्वांगीण विकास में सेवारत् संस्था वनबंधु परिषद के 29वें वार्षिकोत्सव में रविवार को कलामंदिर में मंचित नाटक ‘चक्रव्यूह’ में ‘कृष्ण’ के जीवंत अभिनय को देखने के लिए जनसैलाब उमड़ पड़ा। कला मंदिर सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थिति में शामिल 2 सांसदों दिनेश त्रिवेदी और रूपा गांगुली, आरआर अग्रवाल ज्वेलर्स के डायरेक्टर रतनलाल अग्रवाल सहित अनेक विशिष्ट उद्योगपतियों, समाजसेवियों अन्य ने आयोजन को गरिमा प्रदान की। नितीश भारद्वाज और द्रौपदी की भूमिका निभानेवाली अभिनेत्री रूपा गांगुली ने वनबंधु परिषद के एकल अभियान में शामिल होने की घोषणा कर अभियान को प्रोत्साहन प्रदान किया। नितीश ने कहा कि वे 1996 सेे इस एकल अभियान से उस समय से जुड़े हुए हैं जब जमशेदपुर से सांसद निर्वाचित हुए थे। उन्हें बेहद खुशी है कि वर्तमान में 77 हजार एकल विद्यालय सेवारत हैं और मार्च 2019 तक ०1 लाख विद्यालयों का लक्ष्य है। उन्होंने घोषणा की कि ०1 लाख वां विद्यालय उनकी ओर से प्रदत्त रहेगा। रूपा ने भी एक विद्यालय के सहयोग की घोषणा की। अध्यक्षता कर उद्योगपति-समाजसेवी द्वारका प्रसाद टांटिया ने वनबंधु परिषद के सेवाकार्यों की प्रशंसा की। मुख्य अतिथि उद्योगपति-समाजसेवी सुशील झुनझुनवाला ने एकल अभियान के अन्र्तगत वनवासियों को शिक्षित करने के एकल अभियान को वंदनीय कार्य बताया। प्रधान वक्ता उद्योगपति-समाजसेवी रामेश्वरलाल काबरा ने एकल अभियान को और तेज गति प्रदान करने का आह्वान किया। मुख्य आकर्षण ‘चक्रव्यूह’ नाटक मंचन के दौरान नितीश की ओर से कृष्ण का जीवंत अभिनय रहा।
नितीश के संवाद पर तालियों से गूंजता रहा कलामंदिर सभागार
नितीश के संवाद पर दर्शकों से खचाखच भरा कलामंदिर सभागार तालियों से गूंजता रहा। छन्द रुप में लिखित इस नाटक के समापन पर कृष्ण की भूमिका में नितीश ने कर्म का संदेश देते हुए कहा कि कर्मों से रचे स्वयं के चक्रव्यूह से कभी भी कोई मुक्त नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि अगर हम जीवनरुपी चक्रव्यूह से लड़ते हुए इसको भेद विजयी होकर बाहर निकलना चाहते हैं तो हमें निश्चित तौर पर काम, क्रोध, लोभ, मोह सहित 7 बुरे चक्रों से खुद को बचाकर रखना होगा। इसलिए आज मनुष्य को कर्मभूमि में प्रतिज्ञा-शपथ की बजाय निष्ठावान होकर कर्म करना चाहिए। फल पर इंसान का न अधिकार पहले था, न आज है और न ही कल होगा। आने वाले युगों-युगों तक कर्म की प्रधान रहेगा। उन्होंने कहा कि महाभारत के रण में प्रतिज्ञा-शपथ के बाण चले, न कि तीरों के।
—नितीश ने रूपा को कहा सखी

नितीश ने रूपा गांगुली को सखी और महान कलाकार कहकर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि सखा-सखी न भाई-बहन होते हैं, न प्रेमी-प्रेमिका और न ही पति-पत्नी। बल्कि यह एक ऐसा पावन-पवित्र अटूट रिश्ता होता है, जिसमें सखी रूपी एक महिला अपने मन की वेदना सहित हर बात-समस्या अपने पुरुष रूपी सखा से साझा करती है इस विश्वास के साथ कि उसका गलत इस्तेमाल नहीं होगा। रूपा ने अपने संबोधन में वनबंधु परिषद के पदाधिकारियों से उन्हें भी परिषद में शामिल करने का आग्रह किया।
—-ये रहे सक्रिय

एकल अभियान के संरक्षक सज्जन भजनका, वनबंधु परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष सज्जन बंसल, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष रमेश सरावगी, राष्ट्रीय कार्यकारी सचिव रमेश माहेश्वरी, परिषद के कोलकाता अध्यक्ष रामानन्द रुस्तगी, श्रीहरि सत्संग समिति अध्यक्ष सत्यनारायण देवरालिया, मंत्री बुलाकीदास मीमानी ने स्वागत-सम्मान किया। परिषद के मंत्री मनोज कुमार मोदी ने परिषद की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। संचालन नीरज हाड़ोदिया ने किया। डायरेक्टर अतुल कौशिक के निर्देशन में दुर्योधन का किरदार निभाने वाले नई दिल्ली के कलाकार अखिलेश अरोड़ा सहित २५ कलाकारों को परिषद की ओर से सम्मानित किया गया। आयोजन की सफलता में सुभाष मुरारका, महेश भुवालका, विजय माहेश्वरी, नटवर बंग सहित सभी पदाधिकारियों-कार्यकत्र्ताओं का सक्रिय सहयोग रहा।

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