ैऐसा कॉलेज, जहां हस्ताक्षर की जगह लगता है अंगूठा
दक्षिण कोलकाता में ऐसा ही एक नाम है मुरलीधर गल्र्स कॉलेज —कॉलेज का मिशन महिलाओं को सशक्त व स्वनिर्भर बनाना
ैऐसा कॉलेज, जहां हस्ताक्षर की जगह लगता है अंगूठा
कोलकाता. महानगर में कई उच्च शिक्षण संस्थान हैं, इन सभी के बीच कुछ संस्थान ऐसे हैं, जिसमें आज भी माता-पिता रजिस्टर में अंगूठे का निशान लगाकर हस्ताक्षर के शब्दों की शुरूआत करते हैं। दक्षिण कोलकाता में ऐसा ही एक नाम मुरलीधर गल्र्स कॉलेज का है, जो अपनी संस्कृति, विरासत व समावेशी भावना के साथ एक अलग पहचान रखता है। इस कॉलेज के संस्थापक मुरलीधर बंद्योपाध्याय के नाम पर यह कॉलेज कहलाया। शुरू में 1919 में इसकी स्थापना बालीगंज उच्च बालिका विद्यालय के रुप में की गई, जो बाद में 1940 में मुरलीधर गर्ल्स कॉलेज में परिवर्तित हुआ और कलकत्ता विश्वविद्यालय में इसे पंजीकृत किया गया। विद्वान व शिक्षाविद् बंधोपाध्याय को शुरूआत में संस्कृत और बंगाली भाषा से गहरा प्रेम था। उन्हें विदुरत्न से सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्होंने जीवन में इस उपाधि का कभी इस्तेमाल नहीं किया।पूरे जीवनकाल में मुरलीधर बंद्योपाध्याय राष्ट्रीय परंपरा और संस्कृति के काफी बड़े समर्थक थे। अपने अधिकारों के प्रति लोगों को जागरूक करने व युवाओं को समाज में रोजगार के लिए प्रेरित करने व छात्राओं को उच्च शिक्षा अर्चन के लिए प्रशिक्षित करना उनका प्रमुख लक्ष्य था। इस कॉलेज का मिशन पहली पीढ़ी के सभी छात्रा-छात्राओं सहित सभी शिक्षार्थियों के लिए शिक्षा के साथ सुविधाओं का विस्तार करना और महिलाओं को सशक्त व स्वनिर्भर बनाना है। इस प्रयास में कॉलेज लगातार अपने छात्रों को शिक्षा के उभरते क्षेत्रों में खुद को साबित करने का मौका देता रहता है। अब तक इस कॉलेज के कई छात्र पश्चिम बंगाल सरकार की कन्याश्री योजना में शामिल हो चुके हैं, और इससे लाभान्वित भी हो रहे हैं। इस योजना को यूनाइटेड किंगडम के डिपार्टमेंट ऑफ इंटरनेशनल डेवलपमेंट और यूनिसेफ द्वारा मान्यता मिल चुकी है। 2016-17 में इस संस्थान के लगभग 125 छात्र इस योजना के लाभार्थी रहे हैं, समय के साथ इसकी संख्या बढ़ती रही और2017-18 में लगभग 155 और वर्ष 2018-19 के लिए लगभग 240 हो गई। आज तक यह कॉलेज, शिक्षा के नये मानकों, सुविधाओं और प्रथाओं में निरंतर प्रगति के साथ श्री बंधोपाध्याय का नेतृत्व युवा लड़कियों को सशक्त बनाने में मदद करता है, जिससे उन्हें प्रभावी युवा महिला नागरिकों को भविष्य में मदद करने में राहत मिल सके। कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. किंजाल्किनी विश्वास ने कहा कि संस्थापक मुरलीधर बंदोपाध्याय के प्रति गहरी श्रद्धा और इस समाज में उनके योगदान को याद करते हुए इस वर्ष 24 अप्रैल को उनकी जयंती के रुप में मनाएंगे। इस अवसर पर डॉ. कविता सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर, पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ जुरिडिकल साइंसेज, कोलकाता, महिला सशक्तिकरण और महिलाओं के अधिकारों से संबंधित कानूनों पर एक विशेष डिलीवरी प्रदान करेगी। उत्सव में कॉलेज के सभी कर्मचारी और छात्र भी शामिल होंगे।
Home / Kolkata / ैऐसा कॉलेज, जहां हस्ताक्षर की जगह लगता है अंगूठा