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कोलकाता

कांग्रेस तथा वामदलों ने तृणमूल की पेशकश ठुकराई

– राजनीति: कांग्रेस ने तृणमूल को पार्टी में विलय की सलाह दी- तृणमूल के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं: अधीर चौधरी

कोलकाताJan 15, 2021 / 05:36 pm

Rajendra Vyas

कांग्रेस तथा वामदलों ने तृणमूल की पेशकश ठुकराई

कांग्रेस तथा वामदलों ने तृणमूल की पेशकश ठुकराई

कोलकाता. कांग्रेस तथा वामदलों ने तृणमूल कांग्रेस की पेशकश को साफ ठुकरा दिया है। कांग्रेस ने तृणमूल को पार्टी में विलय की सलाह दे डाली है। एक दिन पहले तृणमूल कांग्रेस ने भाजपा की कथित विभाजनकारी नीतियों के खिलाफ लडऩे के लिए कांग्रेस और वामदलों का समर्थन मांगा था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि भाजपा के खिलाफ चुनाव लडऩे के लिए तृणमूल कांग्रेस को कांग्रेस में विलय कर लेना चाहिए। उन्होंने प्रदेश में भाजपा के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि हमें तृणमूल के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है। पिछले 10 सालों से हमारे विधायकों को खरीदने के बाद टीएमसी को अब गठबंधन में दिलचस्पी क्यों है। अगर ममता बनर्जी बीजेपी के खिलाफ लडऩे की इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए, क्योंकि वही साम्प्रदायिकता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है। ममता बनर्जी ने कांग्रेस से अलग होकर 1988 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी और चौधरी चाहते हैं कि तृणमूल अब कांग्रेस में मिल जाए।
गठबंधन के लिए क्यों बेकरार: माकपा
माकपा के वरिष्ठ नेता सुजन चक्रवर्ती ने आश्चर्य जताया कि टीएमसी ने कभी वाम मोर्चा और कांग्रेस को राज्य में नगण्य राजनीतिक बल करार दिया था, अब पार्टी हमारे साथ गठबंधन के लिए बेकरार क्यों है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी भी वाम मोर्चा को लुभाने का प्रयास कर रही है। चक्रवर्ती ने कहा कि यह दिखाता है कि वाम मोर्चा अभी भी महत्वपूर्ण है। वाम मोर्चा और कांग्रेस विधानसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी दोनों को हराएंगे।
बीजेपी ही एकमात्र विकल्प: दिलीप घोष
इस घटनाक्रम पर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि यह टीएमसी की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि टीएमसी हमसे अकेले नहीं लड़ सकती, इसलिए पार्टी अन्य दलों से मदद मांग रही है। इससे साबित होता है कि बीजेपी ही टीएमसी का एकमात्र विकल्प है। टीएमसी की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रेल-मई में होने वाले विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामथ्र्य नहीं रखती है। लोकसभा चुनावों में बुरी तरह हारने के बाद कांग्रेस और वाम मोर्चा ने साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लडऩे का फैसला लिया है।
क्या पेशकश की थी तृणमूल ने
टीएमसी के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने एक दिन पहले कहा था कि अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में बीजेपी के खिलाफ है तो उन्हें भगवा दल की साम्प्रदायिक एवं विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए। उन्होंने दावा किया है कि तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ही बीजेपी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं।
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