कोरोना : एक की लापरवाही, कइयों पर पड़ी भारी, कोलकाता में एक साथ 57 डॉक्टर, नर्स और चिकित्साकर्मी भेजे गए क्वारंटाइन में
कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में रखकर कोरोना पॉजिटिव का किया गय था इलाज -नीलरतन सरकार अस्पताल की घटना
कोरोना : एक की लापरवाही, कइयों पर पड़ी भारी, कोलकाता में एक साथ 57 डॉक्टर, नर्स और चिकित्साकर्मी भेजे गए क्वारंटाइन में
कोलकाता . कोरोना से बचाव के लिए सावधानी और दूरी बनाए रखना सबसे कारगर साबित हुआ है। लेकिन कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल में एक ऐसा मामला सामने आया है जिससे चिकित्सकों की लापरवाही का खुलासा हुआ है। एक चिकित्सक की लापरवाही के कारण इस अस्पताल के 57 कर्मियों को क्वारंटाइन में भेजना पड़ा। इसमें कई डॉक्टर और नर्स भी शामिल हैं। हुआ यह कि एक
कोरोना पॉजिटिव मरीज को अस्पताल के मेडिसिन वार्ड में रखकर इलाज किया गया। जिसके कारण अस्पताल के 57 लोगों को क्वारंटाइन में रखना पड़ा। शहर के बड़े मेडिकल कालेजों में से एक नीलसरकार अस्पताल में यह घटना घटी। कोरोना के लक्षण दिखाई देने के बाद भी उसे मेडिसिन वार्ड में रखकर इलाज करने के कारण कोरोना पॉजिटिव मरीज के संपर्क में आए डॉक्टर नर्स सहित कुल 57 लोग प्रभावित हुए हैं।
अस्पताल के सूत्रों ने बताया कि महेशतला में रहने वाले 34 वर्षीय एक युवक को सर्दी-खांसी, बुखार जैसे लक्षणों के साथ 30 मार्च को नीलरतन सरकार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। गत 3 अप्रेल को उसी में कोरोना के लक्षण दिखाई दिए थे। जांच के बाद उसकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आई। इसके बाद उसे मेडिसिन वार्ड में ही रखकर चिकित्सा की जा रही थी। नियमों के अनुसार उसे तुरंत आइसोलेशन वार्ड में नहीं रखा गया। अब उसके संपर्क में आने वाले 57 लोगों को क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी गई है। इसमें 25 लोगों को राजारहाट स्थित क्वारंटाइन में और बाकी लोगों को होम क्वारंटाइन में रखने की सलाह दी गई है। सरकारी अस्पताल में इस प्रकार के नियमों के अवमानना का नतीजा है कि 57 कर्मचारियों को काम से अलग होना पड़ा। मालूम हो कि इससे पहले भी एनआरएस मेडिकल कॉलेज में इसी प्रकार की घटना घटी थी। मरीज की मौत हो जाने के बाद उसके परिजन वार्ड में आते रहे। अस्पतालों में घूमते रहे लेकिन उन्हें किसी प्रकार से क्वारंटाइन की सलाह नहीं दी गई। इसके अलावा राज्य में कोरोना का बलि चढऩे वाला पहले मरीज की चिकित्सा करने वाले भी 15 लोगों को क्वारंटाइन में भेजा गया था। राज्य के अस्पतालों में इस समय डाक्टरों व नर्सों का आवश्यकता है। ऐसे समय में डॉक्टर और नर्सों का क्वारंटाइन में जाना अस्पताल के लिए भी क्षतिकारक है क्योंकि काम करने वालों की संख्या कम हो गई।
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