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कोलकाता

पानी के रास्ते बांग्लादेश में गायों की तस्करी

Cow Smuggling: तस्करों ने किया नया तरीका ईजाद। केले के पेड़ के तनों से गायों को बांधा। सीमा पार कराई जा रही गायों की तस्करी।
 

कोलकाताJul 18, 2019 / 08:38 pm

satyendra porwal

Cow Smuggling

पानी के रास्ते बांग्लादेश में गायों की तस्करी

(कोलकाता): अब पानी के रास्ते बांग्लादेश में गायों की तस्करी का खुलासा हुआ है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने 24 घंटे के भीतर ही 261 गायों को बरामद किया है। मुर्शिदाबाद के सूती थाना अन्तर्गत नीमतीता इलाके से तीन बांग्लादेशी तस्करों को भी गिरफ्तार किया गया है। मुर्शिदाबाद, उत्तर 24 परगना और मालदह से गायों को केले के पेड़ के तने से बांधकर नदियों के रास्ते बांग्लादेश भेजा जा रहा है। गिरफ्तार तस्करों की पहचान बांग्लादेश के राजसाही जिला के नगरपाड़ा निवासी जाहिदुर इस्लाम, चांपाई नवाबगंज जिला के गोमस्तापुर थाना के निवासी मोहम्मद राकी और राजसाही जिला के डालडा हिग्राम इलाके का डालिम रजा के रूप में हुई है।

 

बारिश के बहते पानी का उठाया फायदा

सूत्रों ने बताया कि लगातार बारिश के कारण नदियों में पानी भरा है। अब पानी के रास्ते तस्करी के लिए तस्करों ने नया तरीका निकाला है। केले का तना पानी में नहीं डूबता। गायों के दोनों ओर केले का तना बांधकर उन्हें ले जाया जा रहा है। बीएसएफ साउथ बंगाल फ्रंटियर के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी एस.एस गुलेरिया ने बताया कि बीएसएफ लगातार तस्करों को पकडऩे में जुटी है। सूत्रों से जैसे ही जानकारी मिली, समय पर ही बीएसएफ ने इन्हें पकड़ लिया।

 

हर बार बदल देते हैं तस्करी का तरीका

 

फेंसिंग के जरिए गायों पर जुल्म

Cow Smuggling

सीमा पर गो तस्करी के हर बार नए तरीके ईजाद होते हैं। पहले फेंसिंग के जरिए गायों को इस पार से उस पार ले जाया जाता था। ऐसे में गायों पर अत्याचार करते हुए उन्हें रस्सों से बांधकर जुल्म करते हुए सीमा पार ले जाया जाता था। सीमा पर फेंसिंग की ऊंचाई अधिक होने से उन्हें एक देश से दूसरे देश की सीमा में पहुंचाने के लिए शरीर पर जगह-जगह मोटे रस्सों से बांधा जाता था और दूसरी ओर के लोग उन्हें खींच-खींचकर उस पार ले जाने के लिए जुटते थे। ऐसे में कई बार तो गायों की जान पर भी बन आती थी।

 

बोरे में गाय बंद, दम घुटने का खतरा

फेंसिंग के जरिए गायों की तस्करी की घटनाएं वायरल होने व सीमा सुरक्षा बल की ओर से लगाम लगने पर कुछ दिनों तक छोटी गाडिय़ों में बोरे में गायों को बंद कर तस्करी की जाती रही। इस दौरान हवा नहीं मिलने से कई बार गायों के दम घुटने की नौबत भी आ जाती थी। चौपहिया वाहनों में गायों को बोरों में बन्द करके चढ़ाने-उतारने में जान का खतरा भी रहता था वहीं वाहनों में क्षमता से अधिक गायों के होने से यहां खतरे अपार थे।

 

अब अपनाई पानी की राह

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नाके पर पड़ताल में सख्ती बढ़ जाने से तस्करों ने पानी के रास्ते का अपनाया है। इसमें समुद्र किनारे बहुतायत में उपलब्ध केलों के पेड़ों को पानी के मार्ग से तस्करी करने के लिए नया तरीका ईजाद किया है। इसमें केले के बड़े-बड़े पेड़ों के तनों को काटकर एकत्र कर लिया जाता है। गाय के दोनों ओर केलों के तनों को रस्सियों से बांध दिया जाता है। गायों के शरीर पर गर्दन से नीचे पर धड़ को कवर करते हुए बांधे गए ऐसे तने एक तरीके से स्विमिंग पुल में टयूब की भांति कार्य करते हैं। गायों की गर्दन में रस्सी बांधकर उन्हें पानी में आगे चल रहे लोग खींचते हैं और चूंकि केले का तना पानी में डूबता नहीं है। ऐसे में गायों को पानी के जरिए सीमा पार पहुंचा दिया जाता है।

 

सीमा सुरक्षा बल की निगेहबान हैं आंखें

बीएसएफ के जवानों की निगाह पैनी है। पहले फेंसिंग फिर बोरों में और अब पानी में केलों के तनों के जरिए गायों की तस्करी के मन्सूबे बीएसएफ ने विफल कर दिए हैं। जैसे ही मुखबिरों से खबर मिली कि गायों को पानी के रास्ते ले जाया जा रहा है, आनन-फानन में जवानों ने तीन तस्करों को दबोच लिया गया।

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