एक निजी बांग्ला चैनल को ममता बनर्जी ने बताया कि माकपा की हरमद वाहिनी के सभी सदस्य राजनीतिक संरक्षण पाने के लिए भाजपा में मिल गए है और भाजपा के सिद्धान्तों पर चलते हुए धर्म के नाम पर राज्य में दंगा फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा रामनवमी के दिन अ जुलूस निकाल कर माहौल को बिगाडऩे की कोशिश करती है। वह बाहरी गुण्डे ला कर बंगाल में दंगा फैलाने की कोशिश कर रही है। यह बंगाल की संस्कृति नहीं है। वे उसे अपने मकसद में कामयाब नहीं होने देंगी। उन्होंने कहा कि भाजपा और माकपा में मेल है। माकपा धर्म से घृणा करती है या धर्म को नहीं मानती है और भाजपा धर्म को ले कर दादागीरी करती है। लेकिन सभी कम्युनिस्ट नेता खराब नहीं हैं। कुछ समर्पित कम्युनिस्ट नेता अपवाद हैं। अपने सिद्धान्तों और आदर्श से समझौता नहीं करते हैं। वे भाजपा में नहीं जाएंगे। उनमें पूर्व मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य और कान्ति गांगुली शुमार हैं। कान्ति गांगुली भाजपा में शामिल नहीं हुए, लेकिन संरक्षण पाने के लिए लखन सेठ भाजपा में शामिल हो गए। मतान्तर होने के बावजूद वे बुद्धदेव भट्टाचार्य और गांगुली का सम्मान करती हैं। वे आदर्शवादी कम्युनिस्ट हैं और आरएसएस को रोकने के पक्ष में हैं। हालांकि उन्होंने मुलाकात के दौरान बुद्धदेव से हुई बातचीत के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया।
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चुनाव में हिंसा रोकना असंभव-पार्थ कहा, तृणमूल नहीं, विपक्ष ने किया है हमला
कोलकाता तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पार्थ चटर्जी ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस की ओर से हिंसा फैलाने के आरोप को खारिज करते हुए पंचायत चुनाव में हिंसा पर अंकुश लगाने को असंभव करार दिया। पार्थ चटर्जी से पूछा गया कि क्या तृणमूल कांग्रेस और उनकी सरकार पंचायत चुनाव में किसी को भी हिंसा नहीं करने देने की गारंटी देगी। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चुनाव में हिंसा नहीं होने देने की जिम्मेदारी सिर्फ सत्ताधारी पार्टी की ही नहीं है। यह जिम्मेदारी विपक्ष की भी है। हिंसा एक पक्ष नहीं करता है, बल्कि पहल दोनों तरफ से होती है। हिंसा कई तरह की होती है। भाषाई हिंसा भी होती है। विपक्ष की मदद के बिना चुनाव के दौरान हिंसा पर रोक लगाना असंभव है। वे इस दिन प्रेस क्लब, कोलकाता की ओर से आयोजित मिलिए प्रेस से कार्यक्रम में संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस की ओर से हिंसा फैसाने के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि विपक्षी दलों के लोगों ने तृणमूल कांग्रेस के कार्यालयों में तोडफ़ोड़ की है। अब तक तृणमूल के 14 लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि जब विपक्षी दल नामांकन दाखिल करने जाने से डर रहे हैं तो वे मतदान के दिन कैसे घर से बाहर निकलेंगे। राजनीति करते और मरने से डरते हैं।
चुनाव में हिंसा रोकना असंभव-पार्थ कहा, तृणमूल नहीं, विपक्ष ने किया है हमला
कोलकाता तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव पार्थ चटर्जी ने शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस की ओर से हिंसा फैलाने के आरोप को खारिज करते हुए पंचायत चुनाव में हिंसा पर अंकुश लगाने को असंभव करार दिया। पार्थ चटर्जी से पूछा गया कि क्या तृणमूल कांग्रेस और उनकी सरकार पंचायत चुनाव में किसी को भी हिंसा नहीं करने देने की गारंटी देगी। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि चुनाव में हिंसा नहीं होने देने की जिम्मेदारी सिर्फ सत्ताधारी पार्टी की ही नहीं है। यह जिम्मेदारी विपक्ष की भी है। हिंसा एक पक्ष नहीं करता है, बल्कि पहल दोनों तरफ से होती है। हिंसा कई तरह की होती है। भाषाई हिंसा भी होती है। विपक्ष की मदद के बिना चुनाव के दौरान हिंसा पर रोक लगाना असंभव है। वे इस दिन प्रेस क्लब, कोलकाता की ओर से आयोजित मिलिए प्रेस से कार्यक्रम में संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे। इस दौरान उन्होंने चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस की ओर से हिंसा फैसाने के आरोप को खारिज कर दिया और कहा कि विपक्षी दलों के लोगों ने तृणमूल कांग्रेस के कार्यालयों में तोडफ़ोड़ की है। अब तक तृणमूल के 14 लोग मारे गए हैं। उन्होंने कहा कि जब विपक्षी दल नामांकन दाखिल करने जाने से डर रहे हैं तो वे मतदान के दिन कैसे घर से बाहर निकलेंगे। राजनीति करते और मरने से डरते हैं।