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कोलकाता

दिल्ली में हार: बंगाल में यह रणनीति अपनाएगी भाजपा

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का असर पश्चिम बंगाल में भी देखा जा रहा है। 2021 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा अब हर कदम फूंक फूंक कर रखना चाहती है। सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर दिल्ली चुनाव में हुए नुकसान से सबक लेते हुए भाजपा प्रदेश में वैकल्पिक रणनीति बनाने में जुट गई है। हालांकि रणनीति को लेकर भाजपा नेताओं में साफ मतभेद देखा जा रहा है।

कोलकाताFeb 13, 2020 / 05:52 pm

Rabindra Rai

दिल्ली में हार: बंगाल में यह रणनीति अपनाएगी भाजपा

दिल्ली में हार: बंगाल में यह रणनीति अपनाएगी भाजपा

कोलकाता.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का असर पश्चिम बंगाल में भी देखा जा रहा है। 2021 में प्रस्तावित विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भाजपा अब हर कदम फूंक फूंक कर रखना चाहती है। सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर दिल्ली चुनाव में हुए नुकसान से सबक लेते हुए भाजपा प्रदेश में वैकल्पिक रणनीति बनाने में जुट गई है। हालांकि रणनीति को लेकर भाजपा नेताओं में साफ मतभेद देखा जा रहा है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि विधानसभा के चुनाव बिल्कुल अलग होते हैं, इसलिए हमें उसी हिसाब से रणनीति बनानी होगी। ये जरूरी नहीं है कि राष्ट्रीय चुनाव वाली रणनीति विधानसभा में भी कारगर हो। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के चुनाव प्रचार में हम केवल सीएए और एनआरसी के मुद्दे के भरोसे नहीं रहेंगे। अगर सरकार में आना है तो हमें विकल्प के तौर पर दूसरे मुद्दों को भी साथ लेकर चलना होगा। उन्होंने बताया कि ममता सरकार राज्य में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू नहीं कर रही है और ना ही घुसपैठियों को बाहर कर रही है, जबकि भाजपा लगातार इसके कार्यान्वयन को लेकर दबाव बनाए हुए है।

करीबी नेता की राय अलग
दूसरी तरफ प्रदेश भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष के करीबी नेता की इससे अलग राय है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में पार्टी की रणनीति में बदलाव की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि आक्रामक राजनीति ने पार्टी के लिए सकारात्मक परिणाम प्राप्त किए हैं। इनका मानना है कि तृणमूल जैसी पार्टियों से मुकाबले के लिए आक्रामकता जरूरी है।

गलत संदेश जाने की आशंका
दिलीप घोष के करीबी नेता ने कहा कि सीएए और एनआरसी जैसे मुद्दों पर लोकसभा चुनाव में अच्छी सफलता मिल चुकी है। यदि हम अपनी रणनीति बदलाव करते हैं तो यह माना जाएगा कि हम पीछे हट रहे हैं। इससे हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच गलत संदेश जाएगा। उन्होंने कहा कि चुनाव में भले ही हमारे पास और भी वैकल्पिक मुद्दे होंगे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सीएए-एनआरसी पर हमारा रवाया कमजोर होगा।

हर विकल्प पर गौर
2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से 18 और दिल्ली की सभी 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी। इस शानदार परिणाम के कुछ महीने बाद ही हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा को आप के हाथों करारी हार मिली है। कुछ ही महीने बाद प्रदर्शन में आई गिरावट से सबक लेते हुए भाजपा हर विकल्प पर गौर कर रही है।

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