डेंगू का गहराता डंक
कोलकाता सहित पूरे पश्चिम बंगाल में डेंगू का डंक गहराता जा रहा है। डेंगू से एक के बाद एक मौत ने राज्य के स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है। डेंगू से अब तक महानगर तथा आसपास २५ से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है, १०० से ज्यादा लोग पीडि़त हुए हैं। अब भी सरकारी तथा निजी अस्पतालों में कई पीडि़तों का इलाज चल रहा है। हालांकि राज्य सरकार की ओर से डेंगू से ९ लोगों की ही मौत की पुष्टि की गई है। महानगर से सटे कमरहट्टी नगरपालिका इलाके के एक वार्ड में तो डेंगू ने महामारी का रूप तक धारण कर लिया है। हैरानी की बात है कि इसके बावजूद राज्य सरकार का स्वास्थ्य अमला सोया हुआ नजर आ रहा है। दुर्गा पूजा को लेकर स्वास्थ्य विभाग करीब एक सप्ताह तक बंद रहा। कर्मचारियों ने छुट्टियां मनाई। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि ऐसे हालात में स्वास्थ्य विभाग ने अपने कर्मचारियों को लम्बी छुट्टी क्यों दी? छुट्टी दे भी दी तो हालात बिगडऩे पर छुट्टियां रद्द क्यों नहीं की? दूसरी ओर राज्य के स्वास्थ्य सेवा निदेशक अजय चक्रवर्ती का दावा है कि पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष डेंगू के मामलों में कमी आई है। डेंगू के नियंत्रण में स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम व नगरपालिकाएं समेत तमाम एजेंसियां लगातार काम कर रहीं हैं। सभी पहलुओं पर स्वास्थ्य विशेषज्ञ समिति नजर रख रही है। जल्द ही डेंगू विशेषज्ञ कमेटी बताएगी कि इस साल कितने लोगों की डेंगू से मौत हुई है तथा कितने लोग पीडि़त हुए हैं?
आमतौर पर कोलकाता तथा दक्षिण बंगाल में जून और जुलाई महीने में डेंगू का प्रकोप अधिक रहता है, लेकिन अब इसका प्रकोप सितम्बर और अक्टूबर माह में भी देखने को मिल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू के मुख्य लक्षण मसलन तेज बुखार, बदन दर्द आदि भी बदल रहे हैं। हल्का बुखार होने पर भी किसी को डेंगू हो जा रहा है। जल्द पता नहीं चलता, रक्त की जांच के बाद पुष्टि होने से पहले ही पीडि़तों की हालत इतनी खराब हो जाती है कि वे मौत के करीब पहुंच जाते हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग तथा डॉक्टरों को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। यदि स्वास्थ्य विभाग शुरू से ही सक्रिय रहता तो राज्य में डेंगू से इतने लोगों की जान नहीं जाती, सैकड़ों बीमार नहीं पड़ते। स्वास्थ्य विभाग, कोलकाता नगर निगम तथा नगरपालिकाओं को आम आदमी की सेहत की फिक्र करनी चाहिए। बरसात के मौसम में युद्ध स्तर पर इलाके में सफाई अभियान चलाना चाहिए। इलाके के लोगों को जागरूक करना चाहिए। लोगों को बताना चाहिए कि क्या करना चाहिए और क्या नहीं? जो लोग डेंगू वगैरह बीमारियों से पीडि़त हो जाते हैं उन्हें सस्ती और उन्नत चिकित्सा मुहैया करानी चाहिए। उम्मीद की जानी चाहिए कि स्वास्थ्य विभाग डेंगू को लेकर अब ज्यादा जिम्मेदराना रवैया अपनाएगा।