scriptमास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है दिलीप घोष का उम्मीदवार बनाना | Dilip Ghosh's candidature may be Master stroke for BJP | Patrika News
कोलकाता

मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है दिलीप घोष का उम्मीदवार बनाना

मिदनापुर लोकसभा क्षेत्र में सियासी संग्राम के आसार

कोलकाताMar 26, 2019 / 05:41 pm

Ashutosh Kumar Singh

kolkata West Bengal

मास्टर स्ट्रोक साबित हो सकता है दिलीप घोष का उम्मीदवार बनाना

कोलकाता

पिछले ढाई साल से दिलीप घोष प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं और उनके नेतृत्व में भाजपा ने बंगाल में न सिर्फ तेजी से जनाधार बढ़ाया है बल्कि पूरे राज्य में दिलीप घोष की स्वीकार्यता भी बढ़ी है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के तौर पर काम करने की वजह से दिलीप घोष की राजनीतिक और सामाजिक संबंध काफी अच्छे हैं। उन्होंने अपने दम पर सत्तारूढ़ तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी से लेकर राज्य के दिग्गज नेताओं को चुनाव प्रचार और रणनीति के मामले में मात दी है। वह पार्टी के पहले प्रदेश अध्यक्ष थे, जिन्होंने विधायक के रूप में जीत दर्ज की थी। साथ ही मिदनापुर लोकसभा क्षेत्र के खडग़पुर सदर विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने 2016 में विधायक के रूप में जीत हासिल की थी, जिसके बाद पार्टी ने उन्हें लोकसभा क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया। यहां से तृणमूल की सांसद संध्या राय हैं, जो महिला अधिकारों के लिए काम करती हैं।
हालांकि अपने लोकसभा क्षेत्र में वह बहुत कम आती-जाती हैं और आदिवासी क्षेत्र होने की वजह से संध्या राय का लोगों से बहुत अधिक जुड़ाव नहीं है। इसके अलावा आदिवासी समुदाय में राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ रोष का माहौल है और विगत कुछ वर्षों में यहां से भाजपा को भारी बढ़त मिली है। पिछले साल संपन्न हुए पंचायत चुनाव में अधिकतर सीटों पर भाजपा ने न सिर्फ कब्जा जमाया था बल्कि जिन सीटों पर मात मिली थी वहां तृणमूल के उम्मीदवारों को कांटे की टक्कर दी थी। यहां से राज्य के पर्यावरण व परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी तृणमूल कांग्रेस के प्रभारी हैं और उनकी भी पकड़ इलाके में काफी अच्छी मानी जाती है, लेकिन रणनीति के मामले में विगत कुछ वर्षों में भाजपा ने उन्हें मात दी है और आदिवासी समुदाय से लेकर आम बंगाली तक में अपनी पैठ बनाई है। ऐसे में यहां से दिलीप घोष को टिकट दिया जाना निश्चित तौर पर पार्टी की सबसे अधिक सोची समझी रणनीति का हिस्सा होगा। दिलीप घोष की जीत होगी या नहीं, यह अंदाजा लगाना बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों के लिए मुश्किल है। जिस तरीके से दिलीप घोष राजनीति करते हैं उसे देखते हुए उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाना पार्टी का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। संध्या राय की इलाके में बहुत अच्छी पकड़ नहीं रह गई है। सत्ता का लाभ 2014 में उन्हें मिला था। पांच साल में इलाके के विकास के लिए भी बहुत अधिक काम नहीं किया गया है, जिससे लोगों में नाराजगी है और पूरे राज्य के साथ-साथ यहां भी भाजपा के पक्ष में माहौल है। ऐसे में यह बेहद दिलचस्प होगा कि यहां से भाजपा जीतती है या तृणमूल। हालांकि इस सीट पर इस बार वाम मोर्चा की ओर से माकपा के विप्लव भट्टा उम्मीदवार है और प्रबोध पांडा का टिकट काट दिया गया है जिन्होंने 2014 में चुनाव लड़ा था।
क्या है 2014 का आंकड़ा
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पूरे पश्चिम बंगाल में लड़ाई तृणमूल कांग्रेस और माकपा के बीच थी। 2009 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल प्रत्याशी दीपक कुमार घोष दूसरे नंबर पर रहे थे और माकपा के प्रबोध पांडा जीत गए थे, लेकिन 2014 में बाजी पलट गई। मिदनापुर सामान्य सीट से तृणमूल कांग्रेस की संध्या रॉय को विजय मिली और सीपीआई के प्रबोध पंडा दूसरे स्थान पर रहे। संध्या रॉय को 579860 वोट मिले, वहीं माकपा के प्रबोध पंडा को 395194 वोट मिले. 2014 के चुनाव में यहां पर 84.22 फीसदी वोटिंग हुई थी जबकि 2009 में 82.54 फीसदी. 2014 में ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस को यहां 46.04 फीसदी, बीजेपी को 14.28 फीसदी और कांग्रेस को 3.88 फीसदी वोट मिले थे। 2014 में यहां से भाजपा के प्रभाकर तिवारी ने चुनाव लड़ा था। उन्हें 180071 वोट मिले थे जो कुल मतदान का 14.26 फीसदी था।
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