ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के लिए डॉक्टरों ने लिखा पीएम को पत्र
पत्र लिखने वालों में बंगाल के 40 से अधिक डॉक्टर भी शामिल—डॉक्टरों ने मोदी से कहा, युवाओं के बीच ईएनडीएस महामारी बन कर फैल जाए, इससे पहले इस पर रोक लगाना अत्यंत आवश्यक
ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के लिए डॉक्टरों ने लिखा पीएम को पत्र
कोलकाता. देश के 24 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों के 1 हजार से भी अधिक डॉक्टरों नेे इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर प्रतिबंध लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इसमें ईएनडीएस ई-सिगरेट, ई-हुक्का आदि भी शामिल हैं। मोदी को पत्र लिखने वालों में बंगाल के 40 से अधिक डॉक्टर भी शामिल है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में डॉक्टरों ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि युवाओं के बीच ईएनडीएस महामारी बन कर फैल जाए, इससे पहले इस पर रोक लगाना अत्यंत आवश्यक है। ई-सिगरेट को ई-सिग, वेप्स, ई-हुक्का, वेप पेन भी कहा जाता है, जो इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) हैं। कुछ ई-सिगरेट नियमित सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे दिखते हैं। कुछ यूएसबी फ्लैश ड्राइव, पेन और अन्य रोजमर्रा की वस्तुओं की तरह दिखते हैं जो युवाअेंा को बेहद आकर्षित करने वाले होते है। डॉक्टर के समूह ने 30 संगठनों की ओर से आईटी मंत्रालय को लिखे गए एक पत्र पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि यह एक सार्वजनिक स्वास्थ्य का मामला है और इसलिए इसे खतरे में डालकर व्यावसायिक हितों की रक्षा नहीं की जानी चाहिए। मीडिया रिपोर्ट के 30 संगठनों ने इंटरनेट पर ईएनडीएस के प्रचार पर प्रतिबंध न लगाने के लिए आईटी मंत्रालय को लिखा था। उल्लेखनीय है कि 28 अगस्त, 2018 को स्वास्थ्य-परिवार कल्याण मंत्रालय (एमओएचएफडब्ल्यू) ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को ईएनडीएस पर प्रतिबंध लगाने के लिए परामर्शिका जारी की थी। इसी साल मार्च में एमओएचएफडब्ल्यू नियुक्त स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक पैनल ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है जिसमें ईएनडीएस पर 251 शोध अध्ययनों का विश्लेषण किया गया। पैनल ने निष्कर्ष निकाला है कि ईएनडीएस किसी भी अन्य तंबाकू उत्पाद जितना ही खराब है और निश्चित रूप से असुरक्षित। टाटा मेमोरियल अस्पताल के उप निदेशक-सह-हेड नेक कैंसर सर्जन डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि यह कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि निकोटीन को जहर माना जाए। यह दुखद है कि ईएनडीएस लॉबी ने डॉक्टरों के एक समूह को लामबंद किया है, जो ईएनडीएस उद्योग के अनुरूप भ्रामक जानकारी साझा कर रहे हैं। चतुर्वेदी ने कहा कि ई-सिगरेट को सुरक्षित किसी भी पदार्थ की तरह से प्रचारित नही किया जाना चाहिए। तंबाकू कंपनियां चाहती हैं कि नई पीढ़ी निकोटीन और धूम्रपान के प्रति आकर्षित हो और इसकी लत की शिकार बनी रहे। वायॅस ऑफ टुबैको विक्टिम के इस अभियान से जुड़े डाक्टरों ने प्रधानमंत्री को भेजे पत्र में कहा है कि वे चिंतित है कि कुछ डॉक्टरों का वर्ग ही ईएनडीएस लाबी से बेहद प्रभावित हो रहा। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में अमेरिकी खाद्य-औषधि प्रशासन (एफडीए) की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 2017 से 2018 तक एक वर्ष में ई-सिगरेट का उपयोग हाई स्कूल के छात्रों में 78 प्रतिशत और मध्य विद्यालय के छात्रों में 48 प्रतिशत तक बढ़ा है। इसके ठीक विपरीत अमेरिका में किशोरों में पारंपरिक धूम्रपान का प्रचलन कम हो रहा। सीडीसी, यूएस सर्जन जनरल की रिपोर्ट 2016, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अध्ययन और रिपोर्टों में भी गया कहा है कि तंबाकू का उपयोग नहीं करने वाले युवाओं, व्यस्कों, गर्भवती महिलाओं या वयस्कों के लिए ईएनडीएस सुरक्षित नहीं है। नारायणा सुपरस्पेशलिटी अस्प्ताल के हैड नेक कैंसर सर्जन डॉ. सौरव दता ने कहा कि शोध से साबित हुआ है कि ईएनडीएस सुरक्षित नहीं है या धूम्रपान की समाप्ति के विकल्प नहींं। निकोटीन पर निर्भरता स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख खतरा है। एक डॉक्टर के रूप में, वे कभी भी चिकित्सकीय पर्यवेक्षण के बिना किसी भी निकोटीन उत्पाद के उपयोग की सिफारिश नहीं करेंगे। यह एक अत्यधिक नशे की लत वाली रसायन है। इन उत्पादों को भारत में प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। द अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (एसीएस ) और द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंजीनियरिंग मेडिसिन (एनएएसईएम) का मानना है कि ई-सिगरेट से शुरू करने वाले युवाओं का सिगरेट के इस्तेमाल करने के आदी होने और इन्हें नियमित धूम्रपान करने वालों में भी बदल जाने की संभावना अधिक होती है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार भारत में 100 मिलियन लोग धूम्रपान करते हैं, जो ईएनडीएस के निर्माताओं के लिए एक बड़ा बाजार है। ईएनडीएस लॉबी भारत में प्रवेश पाने की कोशिश में बहुत धन खर्च कर रही है। वैसे युवक जिन्होंने कभी नियमित सिगरेट का नहीं इस्तेमाल किया वे वेपिंग और स्मोकिंग की शुरुआत कर रहे हैं, इसके बाद वे नियमित सिगरेट के आदि हो जाते हैं।
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