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कोलकाता

‘80प्रतिशत हॉर्ट ब्लॉकेज वाले मरीज भी जी सकते हैं सामान्य जीवन’

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. छाजेड ने बताए दिल की बीमारी से बचने के उपाय—हर दिन हॉर्ट अटैक से 9 हजार मौत —इमामी फाउंडेशन का 100वां हॉर्ट केयर कैंप पूर्ण

कोलकाताDec 07, 2018 / 03:06 pm

Shishir Sharan Rahi

kolkata

‘80प्रतिशत हॉर्ट ब्लॉकेज वाले मरीज भी जी सकते हैं सामान्य जीवन’

कोलकाता. 80 प्रतिशत हॉर्ट ब्लॉकेज वाले दिल के मरीज भी सामान्य जीवन गुजार सकते हैं। इन दिनों पूरी दुनिया में हॉर्ट रगियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसका मुख्य कारण समय पर भोजन न करना, बेरततीब लाइफ स्टाइल और शारीरिक कार्यों की कमी है। इसके चलते कम उम्र में भी हॉर्ट रोग की शिकायत आजकल सामने आ रही है। देश में हर दिन हृदयाघात (हॉर्ट अटैक) या दिल के दौरे से ९ हजार लोगों की मौत होती है और आज भारत में 10 करोड़ लोग दिल की बीमारी से पीडि़त हैं। हृदय रोग से बचने के लिए आवश्यक है खानपान और जीवन पद्धति में सुधार। एशियाज ग्रेटेस्ट ब्रांड्स 2016 से सम्मानित नई दिल्ली स्थित एम्स के पूर्व कार्डियो कंसल्टेंट, साउल हार्ट सेंटर के फाउंडर प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. विमल छाजेड़ ने गुरुवार को प्रेस क्लब में यह बात कही। इमामी फाउंडेशन की ओर से 100वें हॉर्ट केयर कैंप के पूरे होने पर प्रेस क्लब में कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इमामी फाउंडेशन के ट्रस्टी-सह-मैनेजिंग डायरेक्टर (इमामी लिमिटेड) सुशील गोयनका, इमामी लिमिटेड के उपाध्यक्ष (सीएसआर) अतुल सिंह मंचासीन थे। इमामी फाउंडेशन के संस्थापक आरएस अग्रवाल, आरएस गोयनका के तत्वावधान में हॉर्ट केयर कैंप चलाया गया था। डॉ. छाजेड़ ने कहा कि अगर किसी रोगी के हॉर्ट में 60 से 80 प्रतिशत ब्लॉकेज है, तो भी वह सामान्य जिदंगी जी सकता है। आज बिना बाईपास, सर्जरी के भी हॉर्ट रोग से छुटकारा मिल सकता है। उन्हंोने कहा कि हॉर्ट संंबधी रोगियों को बिना तेल के व्यजंन का सेवन करने और जीरो ऑयल कुकिंग पर जोर दिया। छाजेड़ ने मोटापा, मधुमेह, कोलेस्ट्रॉल, रक्तचाप आदि से बचाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी। डॉ. छाजेड़ ने कहा कि उचित आहार, योग से हृदय रोग का सफल इलाज सहित हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज हटाया जा सकता है। भोजन में कोलेस्ट्राल, वसा की मात्रा, तनावपूर्ण जीवन शैली से हृदय की धमनियों में अवरोध पैदा होता है। इसके कारण हृदय की धडक़न प्रभावित होती है और हृदयाघात होने का खतरा बढ़ता है। हृदय रोग से पीडि़त लोगों को शाकाहारी व्यंजनों के साथ भोजन में कम वसा, सुबह-शाम योग ध्यान, व्यायाम हृदय रोग में लाभदायक है।
—-प्रमुख कारण कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइडसाओल
(साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग) हार्ट सेंटर के प्रमुख डॉ. छाजेड़ ने कहा कि हार्ट की बीमारी का प्रमुख कारण है कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लिसराइड। ये दोनों मनुष्य के शरीर में 20 साल की उम्र से ही बनने लगता है। इसे बढ़ाने में खानपान काफी सहायक है और हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और डायबिटीज इसके लिए जिम्मेदार हैं। नॉन वेज कोलेस्ट्रॉल और खाने के तेल ट्राईग्लिसराइड को बढ़ाता है। पहले 30 से 40 वर्ष तक के बीच हृदय की समस्याएं आंकी जाती थीं, आज यह 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में भी होने लगी हैं। वैकल्पिक चिकित्सा पद्धति से हृदय रोगों के उपचार में सफलता हासिल हुई है। साओल (साइंस एंड आर्ट ऑफ लिविंग) हृदय रोगियों के जीवन में आशा की किरण बन गया है। धमनियों से अवरोध हटाने, कोलेस्ट्रॉल और चर्बी से मुक्त रखने की पद्धति को ही साओल चिकित्सा पद्धति कहा जाता है। जो रोगी एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी किसी कारण नहीं करा पाते, उनके लिए यह चिकित्सा एक वरदान है।
—-यह है मुख्य लक्षण
-अचानक छाती में दर्द, (आमतौर पर बाएं हाथ या गर्दन की बाएं ओर), सांस में तकलीफ, मिचली, उल्टी, घबराहट, पसीना और चिंता शामिल हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में ऐसे लक्षण कम पाए जाते हैं।

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