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कोलकाता

जिंदगी में खतरे की घंटी बजा रही हैं दिल की बीमारियां

भारत समेत पूरे विश्व में दिल की बीमारियां घातक साबित होने लगी हैं। हाल के वर्षों में यह बीमारी तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है। इस बीमारी की भयावहता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि वैश्विक स्तर पर पिछले 20 वर्षों से हृदय रोग मौत का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है

कोलकाताJan 27, 2021 / 11:03 pm

Rabindra Rai

जिंदगी में खतरे की घंटी बजा रही हैं दिल की बीमारियां

जिंदगी में खतरे की घंटी बजा रही हैं दिल की बीमारियां

सौरव प्रकरण से सीख: नियमित जांच व पारिवारिक इतिहास को न करें नजरअंदाज
उचित आहार और जीवनशैली में बदलाव कर बीमारी पर काबू संभव
रवीन्द्र राय
कोलकाता.
भारत समेत पूरे विश्व में दिल की बीमारियां घातक साबित होने लगी हैं। हाल के वर्षों में यह बीमारी तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है। इस बीमारी की भयावहता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि वैश्विक स्तर पर पिछले 20 वर्षों से हृदय रोग मौत का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है। देश में 5 करोड़ से ज्यादा लोग दिल की बीमारियों से पीडि़त हैं। हर साल 50 फीसदी की दर से दिल की बीमारियां बढ़ रही हैं। पिछले साल 28 लाख से ज्यादा लोग काल के गाल के समाए थे। पहले इस बीमारी का संबंध बुढ़ापे से माना जाता था, लेकिन अब युवा भी इस बीमारी से पीडि़त हो रहे हैं। बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली प्रकरण इसका ताजा उदाहरण है। उनके जैसे फिट व्यक्ति को दिल का दौरा पडऩे के बाद भले ही लोग हैरानी जता रहे हैं, पर डॉक्टर नहीं। डॉक्टरों का कहना है कि सौरव गांगुली प्रकरण से बड़ी सीख यह है कि नियमित जांच और पारिवारिक इतिहास को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए वरना यह घातक साबित हो सकता है। गांगुली के पिता चंडी गांगुली को दिल की बीमारी थी।
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि आधुनिक जीवन के बढ़ते तनाव ने युवाओं में दिल की बीमारियों के खतरे पैदा कर दिया है। अनुवांशिक और पारिवारिक इतिहास अब भी अहम कारक बना हुआ है। युवा पीढ़ी में अधिकतर हृदय रोग का कारण अत्यधिक तनाव और लगातार लम्बे समय तक काम करने के साथ-साथ अनियमित नींद लेना है। धूम्रपान और आराम तलब जीवनशैली भी 20 से 30 साल के आयु वर्ग में जोखिम को बढ़ा रही है।

मौतों की बड़ी वजहें
शारीरिक श्रम की कमी, उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार, नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य मापदंडों को नजरअंदाज करना, मिठाई और शराब सेवन से दिल की बीमारी का जोखिम बढ़ जाता है। इसके अलावा वायु प्रदूषण, जंक फूड, ब्लड प्रेशर, आराम तलबी और डिप्रेशन भी जोखिम कारक हैं। यदि परिवार में मां या पिता को हार्ट अटैक हुआ है तब सावधान होना जरूरी है। दिल से संबंधित बीमारियों से मौतों की बड़ी वजह प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, खराब पोषण, खराब जीवन शैली और बढ़ता तनाव है।

जांच से शरीर की स्थिति का पता संभव
हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि आजकल स्वस्थ दिखने वाले व्यक्ति, ध्रूमपान नहीं करने वाले व्यक्ति भी दिल की बीमारी, मधुमेह और कैंसर से पीडि़त पाए जा रहे हैं। ऐसे में नियमित स्वास्थ्य जांच के जरिए शरीर की स्थिति का पता लगाया जा सकता है। आमतौर पर 40 साल के पुरुष तथा 50 साल की महिला को साल में एक बार नियमित जांच जरूर करवानी चाहिए। नियमित जांच मसलन लिपिड प्रोफाइल तथा ब्लड शुगर वगैरह की रिपोर्ट आने के बाद डॉक्टर के साथ व्यक्ति को बैठना चाहिए तथा पारिवारिक इतिहास के बारे में भी बताना चाहिए। यदि रक्त में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत ज्यादा हो तो तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

इनका कहना है
देश में मधुमेह, दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। 30-35 साल की उम्र के बाद ही नियमित जांच मसलन हेमोग्राम, ब्लड शुगर, लिपिड प्रोफाइल, चेस्ट एक्सरे तथा रीनल फंक्शन टेस्ट जरूरी हैं। यदि कोई व्यक्ति मधुमेह से पीडि़त पाया जाता है तो उसके अंगों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। शुरुआत में बीमारी की पहचान तथा उचित इलाज से किसी भी बीमारी पर काबू पाया जा सकता है। उचित भोजन, नियमित शारीरिक गतिविधि जरूरी है। जीवनशैली में बदलाव, धूम्रपान तथा मानसिक तनाव से दूर रहकर बीमारी पर नियंत्रण किया जा सकता है।
डॉ. अनूप खेतान, हृदय रोग विशेषज्ञ

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