केन्द्र सरकार का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि हमें पुनर्विचार करना होगा कि इतिहास, भूगोल को लेकर नए विचार क्यों प्रचारित प्रसारित किए जा रहे हैं। उन्हें लगता है कि यह पहल इसलिए हो रही है ताकि नई पीढ़ी को असलियत न मालूम चले।
उसे स्वतंत्रता संग्राम का सच न पता चले। मुख्यमंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि राज्य सरकार ने देश के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को अक्षुण बनाए रखने के लिए कई काम किए हैं। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को ऐतिहासिक संघर्ष के बारे में बताने के लिए इतिहास को सहेजना जरूरी है।
राज्य सरकार इस धरोहर को विधानसभा में सहेज रही है। नेताजी से जुड़ी फाइलों को सार्वजनिक कर डिजिटल किया गया है। ममता ने नई पीढ़ी से कहा कि क्या यह हमारी जिम्मेदारी नहीं है कि हम उन लोगों को याद रखें जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है?
विचारधारा के स्तर पर टकराव संभव
सीएम ने कहा कि राजनेताओं का विचारधारा के स्तर पर टकराव हो ही सकता है। लेकिन इसका ध्यान रखना होगा कि स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान में कभी भी कमी न हो।
उन्होंने कहा कि राजनेता सभी लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। राजनेताओं की स्वीकार्यता जाति, धर्म, वर्ण के भेदभाव के बिना ही होती है। ममता बनर्जी के इस बयान को हाल ही में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान से जोड़ कर देखा जा रहा है जिसमें शाह ने कांग्रेस पर इतिहास से खिलवाड़ करने का आरोप लगाया था। उन्होंने इतिहास बदलने की बात भी कही।
स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियां सुरक्षित
अलीपुर जेल संग्रहालय में लाइट और साउंड शो की व्यवस्था की गई है। संग्रहालय में नेताजी सुभाष चंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू, ऋषि अरबिंद, चित्तरंजन दास, विधान चंद्र रॉय की कोठरी संरक्षित की गई है।
अलीपुर जेल की फांसी के तख्ते को संरक्षित किया गया है। संग्रहालय में महिला स्वतंत्रता सेनानियों से जुड़े विभिन्न दस्तावेज भी रखे गए हैं। विभिन्न मूर्तियों, चित्रों, पुस्तकों को भी संरक्षित किया गया है। संग्रहालय आने वाले आगंतुकों के लिए कॉफी हाउस, रेस्तरां की भी व्यवस्था की गई है।