— चलना पड़ता है १५ किलोमीटर तक ग्रामीणों का कहना है कि रास्ता नहीं होने के कारण १३ से १५ किलोमीटर चलना पड़ता है। टीएमसी की सरकार आने के बाद से बलरामपुर खुटाई से धानचटानी तक एक रास्ता तैयार तो हुआ है, पर वह माओवादियों के दमन करने के लिए पुलिस ही इस्तेमाल करती है। गौरतलब है कि हाल ही में ग्रामीणों के साथ पुरुलिया के कलक्टर राहुल मजुमदार के साथ बैठक हुई थी जिसमें उन्होंने धानचटानी-नालाकोचार रास्ते की मांग की थी।
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इनका कहना है पहाड़ वन विभाग के अंतर्गत आता है। ऐसे में उनसे बातचीत की जा रही है। इस पर काम करने में समय लगेगा। दस किलोमीटर रास्ते के लिए दो करोड़ ४४ लाख रुपए का अनुमानित खर्च माना जा रहा है। इस रास्ते के साथ ही अन्य रास्ते के लिए भी वन विभाग से बातचीत चल रही है।
– अमित गायन, बीडीओ