राजस्थानी भाषा को मान्यता की मांग तेज
राजस्थानी प्रचारिणी सभा ने मनाया भाषा दिवस
राजस्थानी भाषा दिवस पर राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग और तेज हो गई। राजस्थानी भाषा का साहित्य ५०० साल पुराना है। देश के समृद्ध साहित्य में से एक है। देश की पुरातन भाषाओं में एक राजस्थानी भाषा की सार्थकता के लिए इसे मान्यता मिलनी ही चाहिए। बंगाल में रहने वाले प्रवासी राजस्थानी इसके समर्थन में अनवरत कार्य कर रहे हैं। बुधवार को राजस्थानी प्रचारिणी सभा के अध्यक्ष रतन शाह ने यह बातें कही। अंतरराष्ट्रीय भाषा दिवस पर राजस्थानी प्रचारिणी सभा की ओर से बुधवार को भारतीय भाषा परिषद में राजस्थानी भाषा दिवस मनाया गया। कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि राजस्थानी की उदारता है हिन्दी अपने पैर पर खड़ी है। भारतीय साहित्य को समृद्ध बनाने ने राजस्थानी भाषा का अतुलनीय योगदान है। राजस्थानी भाषा में विपुल साहित्य लिखा गया है। राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता मिलना चाहिए। इस पर सुंदर पारख व गुलाब बैद ने राजस्थानी में कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर समाजसेवी राजू खंडेलवाल , शारदा फतेहपुरिया सहित राजस्थानी समाज के कई विशिष्ट लोग उपस्थित थे।बंशीधर शर्मा को राजस्थानी लेखन सम्मान-२०१७ राजस्थानी प्रचारिणी सभा की ओर से राजस्थानी भाषा दिवस पर बुधवार को बंशीधर शर्मा को राजस्थानी लेखन सम्मान-२०१७ दिया गया। बंशीधर शर्मा ने कही देश के समृद्ध साहित्य में से एक है। देश की पुरातन भाषाओं में एक राजस्थानी भाषा की सार्थकता के लिए इसे मान्यता मिलनी ही चाहिए। बंगाल में रहने वाले प्रवासी राजस्थानी इसके समर्थन में अनवरत कार्य कर रहे हैं। उन्हें पुष्प गुच्छ व शाल देकर सम्मानित किया गया। बंशीधर शर्मा लगातार राजस्थानी भाषा मेंं लिख रहे हैं। इस सम्मान के प्रति आभार प्रकट करते हुए उन्होंने प्रचारिणी सभा को धन्यवाद दिया। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने में सचिव महेश लोधा, संयोजक बालकिशन खेतान, अजय अग्रवाल, अनुराधा सादानी सहित सभा के सभी सदस्यों ने सक्रिय भूमिका निभाई। देश की पुरातन भाषाओं में एक राजस्थानी भाषा की सार्थकता के लिए इसे मान्यता मिलनी ही चाहिए