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कोलकाता

जर्जर मकानों का खतरा

प्रसंगवश

कोलकाताAug 26, 2018 / 07:24 pm

Rabindra Rai

kolkata west bengal

जर्जर मकानों का खतरा

सिटी ऑफ ज्वॉय के नाम से मशहूर कोलकाता महानगर में जर्जर इमारतों से जान-माल का खतरा दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। जुलाई से अब तक महानगर में १० जर्जर इमारतों के हिस्से ढह गए हैं। हादसों में ३ लोगों की जान चली गई है तथा १० से ज्यादा घायल हुए हैं। इससे पहले भी कई लोग जर्जर मकानों का शिकार बन चुके हैं। हादसों के लिए कोलकाता नगर निगम दोषी तो है ही जर्जर मकानों के मालिक तथा किरायेदार भी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते हैं। निगम कुछ मामलों में कोर्ट का हवाला देते हुए चुप बैठ जाता है तो कुछ लोगों के भारी विरोध के कारण। जब भी कोलकाता नगर निगम का अमला जर्जर मकानों को तोडऩे जाता है, मकान में रहने वाले लोग विरोध करना शुरू कर देते हैं। कभी निगम के अमला को बैरंग लौट जाना पड़ता है तो कभी पुलिस बल तथा स्थानीय पार्षद की मौजूदगी में जर्जर हिस्से को तोड़ा जाता है। हाल ही में कोलकाता पुलिस मुख्यालय लालबाजार के पास ८० बेंटिक स्थित स्थित जर्जर इमारत को तोडऩे गए निगम अमला को लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा। लोगों का कहना था कि वे खुद जर्जर हिस्से को तोड़ देंगे। दरअसल किरायेदारों को चिंता रहती है कि तोडऩे के बाद उनको मकान से बेदखल कर दिया जाएगा।
महानगर में जर्जर इमारतों से बढ़ते हादसों के म²ेनजर निगम अब सख्त हुआ है। निगम ने इस सिलसिले में नया कानून भी बनाया है। निगम के मेयर शोभन चटर्जी भी साफ कर चुके हैं कि निगम केवल कागजी खानापूर्ति नहीं करेगा। हर हाल में खतरनाक घोषित जर्जर मकान को तोड़ा जाएगा। फिलहाल ६५ जर्जर इमारतों को नोटिस भेजा गया है। जिनमें से १३ की सुनवाई चल रही है। प्रक्रिया पूरी होते ही जर्जर मकानों को तोड़ दिया जाएगा। आमतौर पर जर्जर हालत के लिए मकान मालिक अपने किराएदारों को जिम्मेदार ठहराते हैं तथा किरायेदार अपने मालिक को।
एक रिपोर्ट के मुताबिक महानगर में लगभग 1,500 से 2000 जर्जर मकानों में हजारों लोग अपनी जान हथेली पर रखकर रह रहे हैं। पल-पल दहशत और डर के साये में अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं। महानगर में 100 से अधिक इमारतें बिल्कुल जर्जर हैं। ये कभी भी ढह सकती हैं। ऐसे में कोलकाता नगर निगम को सख्ती बरतनी चाहिए। निगम को यूं ही लोगों को मरने के लिए नहीं छोड़ देना चाहिए। निगम को कानूनी जटिलताओं से पार पाते हुए जर्जर मकानों को तोडऩे के लिए हर संभव कदम उठाना चाहिए। जिन इमारतों को लेकर मामले कलकत्ता हाईकोर्ट में लम्बित हैं, उन मामलों को लेकर भी निगम को कार्ट से जल्द सुनवाई की अपील करनी चाहिए। निगम के इस काम में राज्य सरकार को पूरा सहयोग करना चाहिए। जहां तक जर्जर मकानों में रहने वाले लोगों का सवाल है। उन्हें भी सहयोग करना चाहिए। जर्जर मकान ढहते हैं तो उन्हें ही नुकसान उठाना पड़ेगा।

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