पिछली बार इस सीट से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार ने 12 हजार वोटों से जीत हांसिल की थी। तृणमूल कांग्रेस का वोट प्रतिशत इस बार बढ़ा है। भाजपा के वोट प्रतिशत में कमी आई है। पिछले चुनाव में यहां भाजपा उम्मीदवार को कुल 4900 वोट मिले थे। इस बार महज 2577 वोट मिले हैं।
—– जनता के साथ रहने का नतीजा है जीत : हकीम भारी जीत के बाद हकीम ने कहा कि पूरे साल वे आम जनता के साथ रहते हैं। हर दुख दर्द में उनके साथ रहते हैं। यह जीत उसका नतीजा है। जनता का आशीर्वाद उनके साथ है। उन्होंने उम्मीद जताई की जनता का आर्शिवाद उनके साथ रहेगा।
—– किसको कितने मिले वोट तृणमूल उम्मीदवार- मेयर फिरहाद हकीम-16564
भाजपा उम्मीदवार – जीवन कुमार सेन-2577 माकपा उम्मीदवार – शिशिर कुमार दत्त-1717
कांग्रेस उम्मीदवार – अनिमेश भट्टाचार्य-537 ———— इनका कहना है
भाजपा उम्मीदवार – जीवन कुमार सेन-2577 माकपा उम्मीदवार – शिशिर कुमार दत्त-1717
कांग्रेस उम्मीदवार – अनिमेश भट्टाचार्य-537 ———— इनका कहना है
आमलोगों को वोट डालने नहीं डालने दिया गया था। अगर आमलोगों को वोट डालने दिया गया होता, तो जीत का अंतर इतना अधिक नहीं होता। मतदान के दिन बूथों पर और आस-पास में मतदाताओं की तुलना में अधिक बाहरी लोग थे। बूथों पर हमारी पार्टी के एजेंटों और समर्थकों को मतदान केन्द्रों में प्रवेश नहीं करने दिया गया था।
सायंतन बसु (चुनाव बंगाल भाजपा इकाई के महासचि व प्रदेश भाजपा के महासचिव)
—- परिणाम अपेक्षित है। तृणमूल का उम्मीदवार भारी था। उक्त इलाका लम्बे समय से तृणमूल कांग्रेस का गढ़ है। वाम शासन के दौरान भी वामदलों के लिए वह एक कमजोर क्षेत्र था। एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर नहीं होने से सत्तारूढ़ दल को ही उपचुनावों में लाभ मिलता है।
—- परिणाम अपेक्षित है। तृणमूल का उम्मीदवार भारी था। उक्त इलाका लम्बे समय से तृणमूल कांग्रेस का गढ़ है। वाम शासन के दौरान भी वामदलों के लिए वह एक कमजोर क्षेत्र था। एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर नहीं होने से सत्तारूढ़ दल को ही उपचुनावों में लाभ मिलता है।
प्रबीर देव (भाकपा के कोलकाता जिला सचिव) — परिणाम अप्रत्याशित नहीं हैं, लेकिन हमें इस बात पर आत्मचिंतन करने की जरूरत है कि हमारे उम्मीदवार ने ऐसा खराब प्रदर्शन क्यों किया। मनोज चक्रवर्ती (विधानसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक)