BHAGWAT–KATHAA: प्रदर्शन का नहीं दर्शन का विषय प्रेम
कोलकाता के हंगरफोर्ड स्ट्रीट में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ, असफलता भी अकेले नहीं निराशा लेकर आती है और निराशा प्रगति पथ में बाधा उत्पन्न करती है
BHAGWAT–KATHAA: प्रदर्शन का नहीं दर्शन का विषय प्रेम
कोलकाता. प्रेम प्रदर्शन का नहीं दर्शन का विषय है। सफलता अकेले नहीं आती वह साथ में अभिमान लेकर भी आती है और यही अभिमान हमारे दुखों का कारण बनता है। ऐसे ही असफलता भी अकेले नहीं आती, वह भी निराशा को लेकर आती है और निराशा प्रगति पथ में बाधा उत्पन्न कर देती है। भागवतकिंकर अनुराग कृष्ण शाी (कन्हैयाजी) ने शुक्रवार को महानगर के हंगरफोर्ड स्ट्रीट में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में यह उद्गार व्यक्त किए। कथा के आयोजक जयकुमार करनानी, महेन्द्र कुमार करनानी, अभिषेक करनानी हैं। कथा का समापन ४ जनवरी को होगा। शाी ने कहा कि यद्यपि योग शब्द बहुत ही व्यापक है तथापि दुख, कटुवचन और अपमान सहने की क्षमता का विकास तथा सुख, प्रशंसा और सम्मान पचाने की सामर्थ्य से बढकर गृहस्थ धर्म में कोई दूसरा योग नहीं। मानाकि सर्दी बहुत ज्यादा है मगर सर्दी को कोसने से भला फायदा भी क्या होगा? फायदा तो इसमें है कि हम गर्म कपड़े पहनें इससे सर्दी का अहसास भी कम होगा। अकारण सर्दी को कोसने से भी बचेंगें। यह आपके जीवन को सुगम बनाने के लिए एक योग नहीं तो क्या है? हर स्थिति का मुस्कुराकर सामना करने की क्षमता, किसी भी स्थिति को अच्छी या बुरी न कह समभाव में रहते हुए अपने कर्तव्य पथ पर लगातार आगे बढऩा। शास्त्री ने महारास लीला व कंस की मृत्यु की कथा सुनाई। श्रीकृष्ण रुक्मिणी मंडल के उत्सव में श्रद्धालुओं ने भक्ति-भाव से गोते लगाए।
Home / Kolkata / BHAGWAT–KATHAA: प्रदर्शन का नहीं दर्शन का विषय प्रेम