खाना बनाना एक कला के रूप में हो विकसित-प्रह्लाद राय अग्रवाल
मेरा राजस्थान इतना महान, जिस पर करता नाज सारा हिन्दुस्तान
खाना बनाना एक कला के रूप में हो विकसित-प्रह्लाद राय अग्रवाल
कोलकाता. आज से 71 वर्ष पूर्व सन १947 में भारत में राजस्थान की महिलाएं केवल घरों में रहती थीं। उन्हें घर से बाहर निकलने, पढऩे-लिखने, खेलने, पुरुषों की तरह बाहर काम करने आदि अनेक क्षेत्रों में अनुमति नहीं थी। भारतीय संविधान में महिला एवं पुरुष दोनों के लिए समान अधिकार बनाए गए हैं, किन्तु निरक्षरता एवं घरेलू तथा हमारे धार्मिक परम्पराओं की वजह से राजस्थान की महिलाएं उन समस्त अधिकारों का सम्पूर्ण उपयोग नहीं कर पा रही थी। आज राजस्थानी महिलाओं ने अपने सतर पर हर क्षेत्र में सफलता हासिल की है। यदि हम शिक्षा के विषय में बात करें तो पुरुषों की अपेक्षा, महिलाओं में अशिक्षा का स्तर ज्यादा है किन्तु अगर शिक्षित नारी की शिक्षित पुरुष से तुलना की जाए तो वह उनके कहीं आगे हैं व तेज भी हैं। हम अकसर अखबारों में पढ़ते हैं- हाई स्कूल परीक्षा परिणाम में छात्राओं ने बाजी मारी, आईआईटी परीक्षा परिणाम में छात्रा सर्वप्रथम। अत: महिलाएं अपने प्रयास और प्रयत्न में पीछे नहीं है। अच्छे पदों पर भी सुशोभित हैं इसी तरह राजनीति में भी काफी सक्रिय हैं। एक बात मैं कहना चाहूंगा कि राजस्थान की नई पीढ़ी पढ़-लिख कर अच्छा काम कर रही है व देश की प्रगति में हिस्सा ले रही है किन्तु परिवार में खाना बनाना आवश्यक है – नई पीढ़ी उसको अच्छी नजर से नहीं देख रही है। खाना बनाने को एक आर्ट के रूप में विकसित करना चाहिए। खाना घर में बनेगा तो घर-घर लगेगा। राजस्थान की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ी है। महिलाओं ने कई उपलब्धियां प्राप्त की हैं किन्तु महिलाओं को अभी बहुत आगे बढऩा है। महिलाएं व्यापार में, कला में, सर्विस सेक्टर में खूब तरक्की कर सकती है। मैं सरकार व जन हितकारी लोक कल्याणकारी सभी संस्थाओं से निवेदन करूंगा कि इस दिशा में आगे बढऩे के लिए कुछ नीतियां बनाएं व उनकी तरक्की का समय-समय पर जानकारी लेती रहे व उनको आगे बढऩे के लिए प्रेरित करती रहे। इसके लिए निरन्तर प्रयास की आवश्यकता है। अंत में मैं दो लाइन लिखना चाहूंगा –
मेरा राजस्थान साथियों इतना महान है, जिस पर करता नाज सारा हिन्दुस्तान है।
———–राजस्थान की कुछ विशेषताएं
हमारा राजस्थान अकेले इतने सैनिक देश को देता है, जितना केरल, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु और गुजरात मिलकर भी नहीं दे पाते। कर्नल-सूबेदार सबसे ज्यादा राजस्थान से हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों में राजस्थानी इतने हैं कि महाराष्ट्र और गुजरात मिलाने से भी बराबरी नहीं कर सकते। आज भी राजस्थान में सबसे ज्यादा संयुक्त परिवार है। हम एक रिक्शा चलाने वालों को भी भाई कह कर बुलाते हैं। ताजमहल अगर प्रेम की निशानी है तो गढ़चित्तौड़ एक शेर की कहानी है।
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