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कोलकाता

‘परदा नहीं जब कोई खुदा से, बंदों से परदा करना क्या…..’

मालापाड़ा फ्रैंड्स यूनियन क्लब का पंचसप्तति जयंती उत्सव—–संगीतमय प्रस्तुति यादों की बारात में झूम उठा कलामंदिर

कोलकाताJan 13, 2019 / 07:34 pm

Shishir Sharan Rahi

kolkata

‘परदा नहीं जब कोई खुदा से, बंदों से परदा करना क्या…..’

कोलकाता. एक से बढक़र एक सदाबहार हिन्दी, मारवाड़ी और राजस्थानी गीतों संग नृत्य की रंगारंग संगीतमय प्रस्तुति ….यादों की बारात… के साथ मालापाड़ा फ्रैंड्स यूनियन क्लब का पंचसप्तति जयंती उत्सव रविवार को कलामंदिर में मनाया गया। मालापाड़ा फ्रैंड्स यूनियन क्लब के पंचसप्तति जयंती उत्सव के उद्घाटनकर्ता उद्योगपति-सह-समाजसेवी डॉ. बिट्ठलदास मूंधड़ा ने रविवार सुबह कलामंदिर में मंचासीन अतिथियों और काफी संख्या में मौजूद समाजजनों को संबोधित करते हुए कहा कि सामाजिक संस्कृति, अपनी विरासत को बरकरार रखने सहित सुसंस्करित, सबल और प्रगतिशील समाज का निर्माण करते हुए अपने पूर्वजों के कार्यों को आगे बढ़ाना ही हमारा कर्तव्य होना चाहिए। प्रधान वक्ता पद्मश्री डॉ. कृष्ण बिहारी मिश्र अस्वस्थ होने के कारण समारोह में नहीं आ सके। प्रधान अतिथि चिंतक-समाजसेवी आरएस झंवर थे। वयोवृद्ध सदस्य दाउलाल कोठारी का तिलक लगाकर अभिनंदन किया गया। मूंधड़ा ने कहा कि अपने भवन निर्माण की योजना को आगे बढ़ाना चाहिए। उन्होंने भवन निर्माण में हर संभव सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि इस दुनिया में कब क्या हो? कोई नहीं जानता इसीलिए शीघ्र भवन निर्माण होना चाहिए। प्रधान अतिथि आरएस झंवर ने कहा कि गत 75 वर्षों से क्लब के सदस्य समाज सेवा कार्यों को बखूबी अंजाम दे रहे हैं और युवाओं में जोश है। उन्होंने अधिक से अधिक आधुनिक तकनीक अपनाने का आह्वान किया। स्वागताध्यक्ष सूरजरतन कोठारी ने संस्था के कार्यों पर प्रकाश डाला। संचालन कपिला मूंधड़ा और धन्यवाद ज्ञापित सभापति अशोक कुमार दुजारी ने किया।
—मुख्य आकर्षण मुंबई के पाश्र्व गायक अरूण डागा की काव्या और कीर्ति संग जुगलबंदी
समारोह का मुख्य आकर्षण मुंबई के पाश्र्व गायक अरूण डागा की काव्या और कीर्ति संग एक से बढक़र एक सदाबहार हिन्दी, मारवाड़ी और राजस्थानी गीतों की संगीतमय प्रस्तुति ….यादों की बारात रही, जो सचमुच कलामंदिर में मौजूद दर्शकों के दिलों पर एक अमिट छाप छोड़ गया। अरूण डागा ने कीर्ति के साथ जब 41 हिन्दी फिल्मी गीतों को बिना रूके सुर-लय में एक साथ गाना शुरू किया, तो पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा। .….परदा नहीं जब कोई खुदा से, बंदों से परदा करना क्या, चंदन सा बदन, लागा चुनरी में दाग जैसे पुराने गीतों से लेकर अच्छा चलता हूं दुआओं में याद करना और राजस्थानी लोकगीत धरती धोरा री…आदि गीत पेश कर डागा ने दर्शक दीर्घा को झूमने पर मजबूर कर दिया।
——ये रहे सक्रिय
स्वागाताध्यक्ष सूरज रतन कोठारी, संयोजक सुभाष चंद्र मूंधड़ा, मनोज कुमार मूंधड़ा, गज्जु चांडक, गौरीशंकर भूतड़ा, स्वागत मंत्री अशोक कुमार द्वारकानी, सभापति अशोक कुमार दुजारी, मंत्री गोपाल कृष्ण कासट, उपसभापति नारायण दास मूंधड़ा, घनश्याम दास लाखोटिया, उपमंत्री पवन कुमार मूंधड़ा, खेल मंत्री अशोक बाहेती, कोषमंत्री विश्वनाथ थिरानी, निवर्तमान सभापति घनश्याम दास पुगलिया, कार्यकारिणी सदस्य अरूण कुमार राठी, विमल राठी, किशन कुमार दुजारी, मनमोहन बागड़ी, पूनमचंद मूंधड़ा, सुनील कुमार लाहोटी आदि मौजूद थे। उत्सव को सफल बनाने में मूलचंद राठी, राजेश दम्मानी, राजकुमार बाहेती, दीनदयाल राठी, नंदकिशोर सादानी, विनोद कुमार दम्मानी, किशन कुमार झंवर, राजेश कुमार मोहता, बजरंगलाल मूंधड़ा, रमेश कुमार मूंधड़ा, जुगल किशोर मूंधड़ा, राकेश मोहता, विमल राठी, राजेंद्र कुमार लाखोटिया, मोतीलाल कासट, जगमोहन डागा और मनोज कुमार मूंधड़ा आदि सक्रिय रहे।
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