छठे वेतन आयोग का मियाद बढऩे पर भडक़े कर्मचारी
पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों के वेतन पुनर्गठन से संबंधित गठित छठे वेतन आयोग तीन साल बाद भी अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंप सकी।
छठे वेतन आयोग का मियाद बढऩे पर भडक़े कर्मचारी
– राज्य सरकार के कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शन
कोलकाता. पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों के वेतन पुनर्गठन से संबंधित गठित छठे वेतन आयोग तीन साल बाद भी अपनी रिपोर्ट सरकार को नहीं सौंप सकी। फलस्वरूप राज्य सरकार ने चौथी बार आयोग की मियाद और छह महीने के लिए बढ़ा दिया है। राज्य सचिवालय नवान्न में वित्त विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के बाद विभिन्न कर्मचारी संगठनों में उबाल आ गया। उल्लेखनीय है कि जाने माने अर्थशाी अभिरूप सरकार के नेतृत्व में गठित वेतन आयोग की मियाद 27 नवम्बर को समाप्त होने वाली थी। राज्य सरकार के इस फैसले से क्षुब्ध कर्मचारी विभिन्न संगठनों के बैनर तले गुरुवार को समस्त कार्यालयों के समक्ष प्रदर्शन किया। वामपंथी कर्मचारी संगठन राज्य को-ऑर्डिनेशन कमेटी के सचिव विजय शंकर सिन्हा ने आरोप लगाया कि सरकार की उदासीनता के चलते ही वेतन आयोग की रिपोर्ट जमा नहीं हो रही है। उन्होंने कहा कि 2018-19 वित्त वर्ष के दौरान ही छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत कर्मचारियों का वेतन पुनर्गठित होने की बात थी। गत सितम्बर में नेताजी इंडोर स्टेडियम तथा नजरूल मंच के कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के बयानों से इसकी पुष्टि भी हुई थी। राज्य सरकार के सूत्रों ने बताया कि छठे वेतन आयोग ने वेतन पुनर्गठन को लेकर ४११ कर्मचारियों और संगठनों से बातचीत की है। विभिन्न कॉरपोरेशन और बोर्ड की भी सुनवाई पूरी हो गई थी। कर्मचारियों को लगा था कि नवम्बर के अंत तक आयोग की रिपोर्ट मुख्यमंत्री सचिवालय को सौंप दी जाएगी। पर वित्त विभाग के नए फरमान ने कर्मचारियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। को-ऑर्डिनेशन के नेता सिन्हा ने बताया कि 01 जनवरी 2016 से केंद्र सरकार के कर्मचारी सातवें वेतन आयोग की सुविधा पा रहे हैं। जबकि पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारी 2006 में पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आने के बाद 2009-10 से नया वेतन पा रहे हैं। छठे वेतन आयोग के चेयरमैन अभिरूप सरकार इस संदर्भ में टिप्पणी करने से मना कर दिया।
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