ममता का आधार से मोबाईल फोन कनेक्शन, सामाजिक कल्याण संबंधित सरकारी योजनाओं और बैंक खातों सहित अन्य व्यक्तिगत डाटा से जोडऩे का विरोध किया जाने का यह पहला मौका नहीं है। 25 अक्टूबर 2017 को तृणमूल कांग्रेस की कोर कमेटी की मीटिंग के बाद ममता बनर्जी ने निजता के मुद्दे पर केन्द्र सरकार पर वार किया था।
उन्होंने कहा था कि केन्द्र सरकार लोगों के अधिकार और निजता के मामले में हस्तक्षेप कर रही है। आधार नंबर से किसी का मोबाईल नंबर नहीं जोड़ा जाना चाहिए। वे अपने मोबाईल नंबर से अपने आधार नंबर को नहीं जोड़ेंगी। भले ही उनका मोबाईल कनेक्शन काट दिया जाए। इसके बाद 30 अक्टूबर को उनकी सरकार ने केन्द्र सरकार की ओर से सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के तहत लाभ पाने के लिए आधार अनिवार्य करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह कह कर बंगाल सरकार की याचिका खारिज कर दी कि संघीय ढाचे में संसद में पारित फैसले के खिलाफ राज्य सरकार कैसे चुनौती दे सकता है। अगर इस पर ममता बनर्जी को आपत्ति है तो वे व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट में मामला कर सकती हैं। इसके बाद तृणमूल कांग्रेस की विधायक महुआ मैत्र ने बैंक खाते को आधार नंबर से जोडऩे पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में में याचिका दाखिल की थी।
आधार को ले कर हो रही है राजनीति
दूसरी ओर भाजपा विधायक और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने आधार को ले कर तृणमूल कांग्रेस पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आधार एक पहचान पत्र बन गया है। सब जगह इसका इस्तेमाल हो रहा है। कभी भी इसके कारण किसी के धन की हानि नहीं हुई है और न ही तथ्य लीक हुए हैं। इसको ले कर लोगों को डराया जा रहा है और राजनीति की जा रही है।