रवीन्द्रनाथ 1912 में कुछ महीनों के लिए उत्तरी लंदन के हैम्पस्टेड हीथ स्थित ‘हीथ विलाज’ में रहे थे। जहां उन्होंने अपनी कविता संग्रह गीतांजलि का अनुवाद किया था। ममता ने शनिवार को ब्रिटेन के लिए नियुक्त कार्यवाहक भारतीय उच्चायुक्त दिनेश पटनायक से लंदन में एक घंटे तक मुलाकात की।
बैठक के दौरान ममता ने कविगुरु की स्मृति से जुड़ा उस घर को खरीदने की इच्छा जताई। सूत्रों ने बताया कि इस घर का ऐतिहासिक महत्व है और मुख्यमंत्री की इच्छा है कि इसे टैगोर के नाम पर मेमोरियल बनाया जाए।
कुछ साल पहले कीमत 2.7 मिलियन पाउंड
इस घर की कीमत कुछ साल पहले 2.7 मिलियन पाउंड आंकी गई थी। 2015 में ममता जब लंदन गई थीं तब भी उन्होंने इस पर चर्चा की थी। ममता ने नई उम्मीद के साथ फिर से इस मुद्दे को उठाया है। टैगोर 1912 में ब्रिटेन पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने लंदन में अपनी कई कविताओं का अनुवाद किया था।
दिलाया था नोबेल
उस दौर में उनके साथियों में ब्रिटिश कलाकार और कवि शामिल थे। इनमें डब्ल्यू बी येट्स भी शामिल थे जिन्होंने गीतांजलि का परिचय लिखा था। यह 103 अनुवादों का संग्रह था जिसने टैगोर को 1913 में साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार दिलाया था।
सिस्टर निवेदिता के घर को मिला सम्मान
भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली ब्रितानी मूल की सिस्टर निवेदिता की 150 वीं जयंती के मौके पर रविवार को ब्रिटेन की राजधानी लंदन में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ब्रिटेन सरकार की ओर से लंदन स्थित सिस्टर निवेदिता के घर को ब्लू प्लाक सम्मान से नवाजा गया।
स्वामी विवेकानंद भी सिस्टर निवेदिता से मिलने के लिए इस घर में आए थे। लंदन के क्राम्पटन रोड स्थित लाइब्रेरी में आयोजित कार्यक्रम में ममता बनर्जी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं। इसमें रामकृष्ण मठ के प्रतिनिधि और अप्रवासी बंगाली उपस्थित रहे। इस दौरान ममता बनर्जी ने लंदन के मेयर को उपहार स्वरूप स्वामी विवेकानंद की मूर्ति प्रदान की। कार्यक्रम की शुरुआत संस्कृत स्लोक के गायन से किया गया।