अमृतसर के शरणार्थी शिविर से लुधियाना तक का सफर तय करते हुए आखिरकार 1968 में कोलकाता आकर हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए। कोलकाता के सौदागरपट्टी के बाद डनलप में निवास बनाया और अंत तक सपरिवार यहीं रहे। पढ़ाई के नाम पर 1-डेढ़-2-ढाई और 3 , साढ़े तीन का ही पहाड़ा जानते थे। थोड़ी जानकारी उर्दू और फारसी की थी। महज 40 रूपए की लागत से दूध का व्यवसाय शुरू किया और उनका कहना था कि कोई भी बच्चा बिना शिक्षा के न रहने पाए और इसलिए जेआईएस शैक्षिक संस्थान की नींव डाली। उन्होंने दूध व्यवसाय से कॅरियर शुरू किया था। गाय-भैंस, दूध-मलाई का कारोबार करते हुए जोध सिंह ने एक ऐसे राज्य (बंगाल) में ट्रांसपोर्ट, रीयल इस्टेट, दूरसंचार, लोहा और इस्पात आदि क्षेत्र में करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया जिस प्रदेश की न भाषा मालूम थी और न यहां के लोगों के रहन-सहन-संस्कृति की जानकारी। मेहनत, ईमानदारी और लगन के बल पर अपने जीवन के सफलतापूर्वक सफर तय करते हुए पिछले साल 25 जनवरी को 98 साल की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए।
—-जेआईएस ग्रुप एजुकेशननल आज पूर्वी भारत का सबसे बड़ा शैक्षिक हब
तरनजीत ने बताया कि 1998 में आसनसोल में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना के साथ ही शिक्षा के व्यवसाय में कदम रखा। कोलकाता के उपनगर आगरपाड़ा के समीप स्थित जेआईएस यूनिवर्सिटी (प्राइवेट) की स्थापना 2014 में हुई, जो यूजीसी से मान्यता प्राप्त है। जेआईएस ग्रुप एजुकेशननल इनीसिएटिव आज पूर्वी भारत का सबसे बड़ा शैक्षिक हब है, जिसके तहत २६ संस्थान हैं। 126 प्रोग्राम संचालित होते हैं और करीब 35 हजार छात्र-छात्राएं इसमें उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं।