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कोलकाता

‘मिल्कमैन टू मिलियनेयर’

कभी स्कूल नहीं गए, पर बना डाली जेआईएस यूनिवर्सिटी—–पढ़ाई-लिखाई नहीं आती थी, पर जोधसिंह ने खड़ा कर दिया करोड़ों का कारोबार

कोलकाताMar 09, 2019 / 10:42 pm

Shishir Sharan Rahi

kolkata

‘मिल्कमैन टू मिलियनेयर’

कोलकाता (शिशिर शरण राही). जो इंसान पढऩा-लिखना नहीं जानता था, कभी स्कूल नहीं गया उसने उच्च शिक्षा बहाल करने के लिए जेआईएस यूनिवर्सिटी की स्थापना कर दी। सरदार जोध सिंह कारोबारी ज्ञान के महारथी नहीं थे, पढ़ाई-लिखाई नहीं आती थी पर करोड़ों रूपए का कारोबारी साम्राज्य खड़ा कर दिया। जेआईएस ग्रुप के एमडी सहित जेआईएस यूनिवर्सिटी के चांसलर तरनजीत सिंह ने पत्रिका संवाददाता के साथ खास भेंट में अपने पिता सरदार जोध सिंह की इस उपलब्धि का खुलासा किया। सिंह ने ‘मिल्कमैन टू मिलियनेयर’ के नाम से मशहूर कारोबारी पिता सरदार जोध सिंह के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि 1948 में विभाजन के दौरान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत स्थित जन्म स्थान मिरछा गांव से वे भारत आए थे। जोध सिंह के 3 बेटों में सबसे बड़े तरनजीत सिंह आज जेआईएस ग्रुप के एमडी सहित जेआईएस यूनिवर्सिटी के चांसलर का भी कार्यभार बखूबी संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि धीरज सार्थक और डॉ. अरविंद यादव की लिखित पुस्तक ‘जोध सिंह असरदार सरदार’ में उनके पिता के जीवन से जद्दोजहद के बारे में एक से बढक़र एक खुलासे किए गए हैं। इसके अलावा उनपर 11.30 मिनट की डॉक्यूमेंट्री भी बन चुकी है। उन्होंने जीवन में जो कुछ हासिल किया, वह सब अर्जित था। भारत विभाजन के समय खाली हाथ पाकिस्तान से आए थे। उस समय कई मुश्किलें सामने थी। न रहने की कोई जगह और न खाने का ठिकाना। महज 9 साल की उम्र में ही मां उन्हें छोडक़र दुनिया से जब चली गई तो छोटे भाई-बहनों की संपूर्ण जिम्मेदारी कंधों पर आई जिसे बखूबी पूरा किया।
—-अमृतसर से कोलकाता, महज 40 रूपए से शुरू किया था दूध का व्यवसाय
अमृतसर के शरणार्थी शिविर से लुधियाना तक का सफर तय करते हुए आखिरकार 1968 में कोलकाता आकर हमेशा के लिए यहीं के होकर रह गए। कोलकाता के सौदागरपट्टी के बाद डनलप में निवास बनाया और अंत तक सपरिवार यहीं रहे। पढ़ाई के नाम पर 1-डेढ़-2-ढाई और 3 , साढ़े तीन का ही पहाड़ा जानते थे। थोड़ी जानकारी उर्दू और फारसी की थी। महज 40 रूपए की लागत से दूध का व्यवसाय शुरू किया और उनका कहना था कि कोई भी बच्चा बिना शिक्षा के न रहने पाए और इसलिए जेआईएस शैक्षिक संस्थान की नींव डाली। उन्होंने दूध व्यवसाय से कॅरियर शुरू किया था। गाय-भैंस, दूध-मलाई का कारोबार करते हुए जोध सिंह ने एक ऐसे राज्य (बंगाल) में ट्रांसपोर्ट, रीयल इस्टेट, दूरसंचार, लोहा और इस्पात आदि क्षेत्र में करोड़ों का कारोबार खड़ा कर दिया जिस प्रदेश की न भाषा मालूम थी और न यहां के लोगों के रहन-सहन-संस्कृति की जानकारी। मेहनत, ईमानदारी और लगन के बल पर अपने जीवन के सफलतापूर्वक सफर तय करते हुए पिछले साल 25 जनवरी को 98 साल की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए।
—-जेआईएस ग्रुप एजुकेशननल आज पूर्वी भारत का सबसे बड़ा शैक्षिक हब
तरनजीत ने बताया कि 1998 में आसनसोल में इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना के साथ ही शिक्षा के व्यवसाय में कदम रखा। कोलकाता के उपनगर आगरपाड़ा के समीप स्थित जेआईएस यूनिवर्सिटी (प्राइवेट) की स्थापना 2014 में हुई, जो यूजीसी से मान्यता प्राप्त है। जेआईएस ग्रुप एजुकेशननल इनीसिएटिव आज पूर्वी भारत का सबसे बड़ा शैक्षिक हब है, जिसके तहत २६ संस्थान हैं। 126 प्रोग्राम संचालित होते हैं और करीब 35 हजार छात्र-छात्राएं इसमें उच्च शिक्षा हासिल कर रहे हैं।

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