चुनाव घोषणा होने से पहले से ही बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और मुख्य प्रतिद्वन्दि बन कर उभरी भाजपा में साम्प्रदायिकता, राष्ट्रीयता, भ्रष्टाचार और लोकतंत्र हनन के आरोप के मुद्दे पर घमासान छिड़ेगा। पिछले दिनों उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ जंग शुरू कर दिया है। कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले पर उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्र भक्ति पर सवाल उठाने और बंगाल में साम्प्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया। नोटबंदी को देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार करार देते हुए उन्होंने अपने चुनाव प्रचार की रणनीति का ट्रेलर दिखाया है और होली बाद चुनावी रण क्षेत्र में कूदने की घोषणा की। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने बताया कि दीदीमुनि (ममता बनर्जी) ने जिन मुद्दों को उठाया है होली बाद इनके जरिए वे भाजपा के असली चेहरे को उजागर करेंगे और लोगों को बताएंगे कि जाति, धर्म और खान-पान के नाम पर लोगों को बांट कर भाजपा कैसे बंगाल की धर्मनिर्पेक्ष ढाचा को नष्ट करना चाहती है। कैसे वह लोकतंत्र का हनन का झूठा आरोप लगा कर बंगाल का अपमान कर रही है।
जवाब में भाजपा पुलवामा संबंधित ममता बनर्जी के बयानों को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के हितैषी और भारत विरोधी के रुप में उछालने के लिए तैयार बैठी है। वह सारधा और रोजवैली चिटफंड घोटाले और सिंडिकेट राज में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के लिप्त होने और उन्हें बचाने के लिए ममता बनर्जी की कोशिश, मुस्लिम तुष्टीकरण का मुद्दा उछालने के लिए अपनी धार तेज कर रही है। लेकिन बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति और लोकतंत्र का हनन के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस चारो तरफ से घिरती हुई नजर आ रही है। इस मुद्दे पर भाजपा के साथ ही माकपा और कांग्रेस भी उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।