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चुनावी फिजा में गूंजेंगे राष्ट्रीयता, साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार के मुद्दे

बंगाल में होगा लोकतंत्र का हनन के मुद्दे पर राजनीतिक घामासान
 

कोलकाताMar 26, 2019 / 05:13 pm

Manoj Singh

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चुनावी फिजा में गूंजेंगे राष्ट्रीयता, साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार के मुद्दे

आहुत लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिम बंगाल की चुनावी फिजा में राष्ट्रीयता, साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार के साथ ही राज्य की कानून-व्यवस्था और लोकतंत्र का हनन के मद्दे गूंजेंगे। राजनीतिक पार्टियां इस चुनावी संग्राम में उक्त मुद्दों को हथियार बना कर अपने विरोधी दलों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए तैयार बैठी हैं, जिसकी झलक उनके नेताओं के बयानों में मिलने लगी है।
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आहुत लोकसभा चुनाव 2019 में पश्चिम बंगाल की चुनावी फिजा में राष्ट्रीयता, साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार के साथ ही राज्य की कानून-व्यवस्था और लोकतंत्र का हनन के मद्दे गूंजेंगे। राजनीतिक पार्टियां इस चुनावी संग्राम में उक्त मुद्दों को हथियार बना कर अपने विरोधी दलों के खिलाफ इस्तेमाल करने के लिए तैयार बैठी हैं, जिसकी झलक उनके नेताओं के बयानों में मिलने लगी है। लेकिन धीरे-धीरे चुनाव प्रचार शुरू होने के बावजूद बंगाल में इन दिनों तूफान आने से पहले जैसी स्थिति हैं। होली बाद सियासी पारा गर्म होने पर राजनीतिक पार्टियों में इन मुद्दों पर घामासान भी शुरू होगा।

चुनाव घोषणा होने से पहले से ही बंगाल की सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस और मुख्य प्रतिद्वन्दि बन कर उभरी भाजपा में साम्प्रदायिकता, राष्ट्रीयता, भ्रष्टाचार और लोकतंत्र हनन के आरोप के मुद्दे पर घमासान छिड़ेगा। पिछले दिनों उम्मीदवारों की सूची जारी करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भाजपा के खिलाफ जंग शुरू कर दिया है। कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले पर उन्होंने भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राष्ट्र भक्ति पर सवाल उठाने और बंगाल में साम्प्रदायिकता फैलाने का आरोप लगाया। नोटबंदी को देश का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार करार देते हुए उन्होंने अपने चुनाव प्रचार की रणनीति का ट्रेलर दिखाया है और होली बाद चुनावी रण क्षेत्र में कूदने की घोषणा की। तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने बताया कि दीदीमुनि (ममता बनर्जी) ने जिन मुद्दों को उठाया है होली बाद इनके जरिए वे भाजपा के असली चेहरे को उजागर करेंगे और लोगों को बताएंगे कि जाति, धर्म और खान-पान के नाम पर लोगों को बांट कर भाजपा कैसे बंगाल की धर्मनिर्पेक्ष ढाचा को नष्ट करना चाहती है। कैसे वह लोकतंत्र का हनन का झूठा आरोप लगा कर बंगाल का अपमान कर रही है।

 

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जवाब में भाजपा पुलवामा संबंधित ममता बनर्जी के बयानों को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के हितैषी और भारत विरोधी के रुप में उछालने के लिए तैयार बैठी है। वह सारधा और रोजवैली चिटफंड घोटाले और सिंडिकेट राज में तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के लिप्त होने और उन्हें बचाने के लिए ममता बनर्जी की कोशिश, मुस्लिम तुष्टीकरण का मुद्दा उछालने के लिए अपनी धार तेज कर रही है। लेकिन बंगाल में कानून-व्यवस्था की स्थिति और लोकतंत्र का हनन के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस चारो तरफ से घिरती हुई नजर आ रही है। इस मुद्दे पर भाजपा के साथ ही माकपा और कांग्रेस भी उसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
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भाजपा के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने पत्रिका को बताया कि भाजपा चुनाव प्रचार में केन्द्र की मोदी की योजनाओं और बंगाल में उन्हें लागू नहीं करने देने के मुद्दे उठाएंदगी। इसके अलावा पार्टी पुलवामा आतंकी हमले पर ममता बनर्जी के पाकिस्तान के समर्थन में भारत विरोधी बयान देने, भ्रष्टाचार, शिक्षा व्यवस्था और महिलाओं पर हो रहे अत्याचार को मुद्दा बनाएगी। लेकिन बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का बंगाल में सबसे बड़ा मुद्दा राज्य सरकार की ओर से किया जा रहा लोकतंत्र का है। पार्टी इसे पूरी मजबूती के साथ उठाएगी। तृणमूल कांग्रेस को घेरने के लिए कांग्रेस और माकपा सहित वामपंथी दलों ने भी अपने चुनावी मुद्दों में बंगाल की कानून-व्यवस्था और लोकतंत्र हनन करने के मुद्दे को शामिल किया है। इसके साथ ही दोनों ने भाजपा के साथ ही तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ राष्ट्रीयता, साम्प्रदायिकता और भ्रष्टाचार के मुद्दे उछालने की तैयारी में है। सांसद और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रो. प्रदीप भट्टाचार्य ने कहा कि बंगाल सरकार लोकतंत्र का हनन कर रही है और इस चुनाव में कांग्रेस का यह सबसे बड़ा मुद्दा होगा। उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस के भ्रष्टाचार के साथ ही भाजपा की फर्जी राष्ट्रीयता, साम्प्रदायिकता, केन्द्र सरकार की ओर से पैदा किया गया आर्थिक संकट और बेरोजगी को चुनावी मुद्दा बनाएगी।

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