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कोलकाता

अपराध का कोई जाति और धर्म नहीं होता

कामकाजी पेशेवरों की संचार कार्यशाला में बोली अमरीका की समाज वैज्ञानिक डेब्रा ऐयनॉक

कोलकाताFeb 24, 2018 / 09:47 pm

Manoj Kumar

kolkata west bengal
कोलकाता
अपराध का कोई जाति-धर्म और रंग नहीं होता है। फिर भी राजनीतिक कारणों से अपराध को किसी जाति और धर्म विशेष से जोड़ दिया जाता है। इंग्लैण्ड में शोध कर अमरीका की समाज वैज्ञानिक डेब्रा ऐयनॉक शनिवार को यहां विशेषज्ञों से मिलिए संचार कार्यशाला में बोल रहीं थी। पेशेवरों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इंग्लैण्ड में भी लड़कियों के खिलाफ अपराध अधिक होते हैं। वहां की श्वेत किशोरियों और महिलाओं को निशाना बनाया जाता है और इसके लिए काले नस्ल के लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाता है, लेकिन गहन जांच से पता चलता है कि ऐसे अपराध श्वेत नस्ल के लोग भी करते हैं, लेकिन राजनीतिक कारणों से काले नस्ल के लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (पीआरएसआई) कोलकाता चैप्टर और कलकत्ता डिबेटिंग सर्कल की ओर से आयोजित कार्यशाला में बीबीसी के वरिष्ठ संपादक (इंग्लैण्ड) जैफ बायरन, लेबर पार्टी के संचार और बहस कोच शॉन डॉलन, इंडस नेट टेक्नोलॉजीज के डिजिटल मार्केटिंग प्रमुख सांतनु मुखोपाध्याय, पब्लिक रिलेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया (कोलकाता चैप्टर) के सौम्यजीत महापात्रा और अन्य उपस्थित थे।
सच्चाई के आधार पर रिपोर्ट लिखें

बायरन ने कहा कि अलग-अलग पत्रकारों के अपने-अपने व्यक्तिगत विचार होते हैं, लेकिन उन्हें सच्चाई के आधार पर रिपोर्ट लिखनी चाहिए। रिपोर्ट में उनके विचार नहीं आने चाहिए। पत्रकारों को वही लिखना चाहिए जो वे देखते हैं। लेबर पार्टी के शॉन डॉलन ने इंग्लैण्ड में राजतंत्र को समाप्त करने पर चल रही बहस पर पेशेवरों के मत जानना चाहा। डिजिटल मार्केटिंग विशेषज्ञ
सांतनु मुखोपाध्याय ने डिजिटल मार्केटिंग में सफलता के गुण सिखाए।

रिपोर्ट एकतरफा भी नहीं होनी चाहिए

किसी भी संवाददाता की रिपोर्ट एकतरफा भी नहीं होनी चाहिए। उसे सभी पक्षों की सच्चाई के बारे में निष्पक्ष होकर लिखना चाहिए। तथ्यपरक रिपोर्ट को पठनीय बनाने की दिशा में भी कोशिश की जानी चाहिए। दुनिया में इन दिनों पहले से तय कर लिया जाता है कि उसे किसी तरह से रिपोर्ट को पेश करना है। यह टिकाऊ नहीं होता। रिपोर्ट सच्चाई के आधार पर होने के साथ साथ बायरन ने उसकी प्रस्तुति पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि तथ्यपरक रिपोर्ट को बेहतर तरीके से प्रस्तुत करना चाहिए ताकि पाठक उसे पढऩे में दिलचस्पी ले।

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