कहा, उत्तर बंगाल और जंगलमहल अलग राज्य की मांग उठने के लिए ममता बनर्जी जिम्मेदार
कोलकाता•Aug 22, 2021 / 01:47 am•
Manoj Singh
West Bengal : अब पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने आलापा छेड़ अलग राज्य का राग
जॉन बारला के नेतृत्व में शुरू शहीद सम्मान यात्रा में लिया हिस्सा
कोलकाता
केन्द्रीय मंत्री जॉन बारला के बाद अब पश्चिम बंगाल के भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी उत्तर बंगाल के अलग राज्य बनाने का मुद्दा उछाला। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जिम्मेदार ठहारा औैर मुख्यमंत्री पर गोरखालैण अलग राज्य की मांग करने वालों से समझौता करने का भी आरोप लगाया।
दिलीप घोष ने शनिवार को कहा कि उत्तर बंगाल और जंगलमहल अलग होना चाहता है तो इसके लिए पूरी तरह से मुख्यमंत्री मुमता बनर्जी जिम्मेदार हैं। ममता बनर्जी ने उत्तर बंगाल और जंगलमहल को विकास से उपेक्षित रखा है। क्षेत्र के लगों को शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार के लिए क्यों दूसरी जगह जाना पड़ता है। वे उत्तर बंगाल में जॉन बारला के नेतृत्व में आयोजित शहीद सम्मान यात्रा में हिस्सा लेने के दौरान बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने जॉन बारला की ओर से उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग करने का समर्थन भी किया। उन्होंने कहा कि जॉन बारला ने उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग कर कोई गलती नहीं की है। अलग राज्य बनाने की मांग विकास से उपेक्षित उत्तर बंगाल के लोगों की है और बारला को आम लोगों की आवाज को उठाने का पूरा अधिकार है। उन्होने कहा कि ममता बनर्जी ने गोरखालैण्ड अलग राज्य की मांग को स्वीकार कर समझौता कर शासन किया। तब तृणमूल कांग्रेस के लोगों ने बंगाल विभाजन का विरोध क्यों नहीं
किया।
फूट डालो राज करो नीति अपना रही है भाजपा – राज्य के परिवहन मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि यह भाजपा फूट डालो राज करो की नीति है। पहले यह ब्रिटिश करते थे और यह नीति भाजपा अपना रही है। वह भाषा और धर्म को लेकर एक-दो जगह चुनाव जीती है। वह इसी आधार पर बंगाल का विभाजन करना चाहती है। उन्होंने कहा कि दिलीप घोष राजनीति में नया आए हैं और बंगाल में उनकी पार्टी नई है। वे नहीं जानते कि ममता बनर्जी की सरकार बनने से पहले उत्तर बंगाल और जंगल महल क्या था और अब कितना विकास हुआ है।
क्या कहा था जॉन बारला
पिछले दिनों जॉन बारला ने उत्तर बंगाल को अलग राज्य बनाने की मांग करते हुए कहा था कि प्रत्येक चाय बागान के एक-एक हजार लोग अपने बच्चों को छोड़कर दूसरे राज्यों में नौकरी करने गए हैं। बच्चें अपने मौलिक अधिकारों से उपेक्षित हो रहे हैं। लोग अपने मौलिक अधिकारों से उपेक्षित हो रहे हैं।