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कोलकाता

नर्सों का निजी से सरकारी अस्पतालों में पलायन

5 साल पहले शुरू पलायन आज भी जारी—कारण-बेहतर आकर्षक वेतन पैकेज प्रस्ताव—-एक दिन के नोटिस पर नौकरी छोड़ रही नर्सें

कोलकाताNov 03, 2018 / 02:26 pm

Shishir Sharan Rahi

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नर्सों का निजी से सरकारी अस्पतालों में पलायन

कोलकाता. निजी से सरकारी अस्पतालों में नर्सों का 5 साल पहले शुरू पलायन आज भी जारी है। इसके कारण मरीज उनके आश्रितों या आया पर निर्भर रहने पर मजबूर हो रहे हैं। २०१६ में करीब 6 हजार नर्सें निजी अस्पतालों से सरकारी अस्पतालों में गई थीं। एक दिन के नोटिस पर नर्सें नौकरी छोड़ रही हैं। बेहतर आकर्षक वेतन पैकेज के प्रस्ताव के लालच में हजारों नर्सों ने निजी अस्पताल छोडक़र सरकारी और सुपर स्पेश्यलिटी तक के अस्पतालों में सेवाएं देनी शुरू कर दी हैं। महानगर के प्रतिष्ठित वेल व्यू सहित एएमआरआई भी इससे अछूते नहीं हैं और उन्हें नर्सों के संकट से बचने के लिए भर्ती के इमरजेंसी आधार पर विज्ञापन निकालने पड़े। यहां तक कि उन्हें बंगाल के पड़ोसी राज्यों विशेषकर उत्तर-पूर्व राज्यों से नर्सों को बुलाकर नियुक्तियां करनी पड़ी। बेल व्यू क्लिनिक और वुडलैंड्स से 97 और 80 नर्स सरकारी अस्पतालों में चली गईं। ज्यादातर निजी अस्पताल हर साल सरकारी क्षेत्र में हजारों नर्स खो देते हैं। इसका मुख्य कारण बेहतर वेतन, प्लेसमेंट, निकट घर, अधिक नौकरी सुरक्षा और कम जवाबदेही है। जब राज्य ने पिछले साल 6,100 नर्सों की भर्ती की, तो निजी अस्पतालों से भारी पलायन हुआ था। उधर इस संबंध में वेल व्यू के सीईओ प्रदीप टंडन का कहना है कि हर साल १३० नर्सें नौकरी छोड़ देती हैं। सरकारी नर्सिंग सीटों की संख्या दोगुना हो गई है यह एक अच्छा कदम है, लेकिन सरकार को और सीटों को बढ़ाना चाहिए। एएमआरआई (आमरी) समूह के सीईओ रुपक बरूआ ने कहा कि आमतौर पर पूजा के बाद ही पलायन शुरू होता है। आमरी में नर्स संकट से बचने के लिए सालभर भर्ती चलती है। चिकित्सा शिक्षा के निदेशक देवाशीष बंद्योपाध्याय के अनुसार सरकार नर्सिंग सीटों की कमी से अच्छी तरह से अवगत है, लेकिन इस समस्या को रातों रात हल नहीं किया जा सकता। सरकार लगातार अपने बुनियादी ढांचे और संकाय शक्ति का आकलन कर जब भी संभव हो सीटों को बढ़ाती है। भागीरथी नेवटिया वुमैन एंड चाइल्ड केयर सेंटर के डायरेक्टर पीएल मेहता ने कहा कि अगर निजी अस्पतालों में नर्सों का संकट बरकरार रहता है तो आया पर निर्भरता ज्यादा बढ़ जाएगी। क्योंकि नियमानुसार आश्रितों को अनुमति नहीं दी जा सकती।
—-मुख्यमंत्री ने किया था परियोजना का उद्घाटन
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक परियोजना का उद्घाटन किया था, जिसके तहत 5 सरकारी अस्पतालों में 5 नए सामान्य नर्सिंग और मिडवाइफरी स्कूल काम करेंगे। इसका मकसद 21 अस्पतालों में मौजूदा नर्सिंग स्कूलों में सीटों की संख्या में वृद्धि करना है। निजी अस्पतालों का आरोप है कि हर साल बड़ी संख्या में एक दिन के नोटिस पर नर्सों की ओर से इस्तीफा दिया जाता है और वे सरकारी अस्पतालों में शामिल हो जाती हैं। वर्तमान में राज्य में नर्सिंग कॉलेजों में 1,800 नर्सिंग सीटें हैं, जो दूसरे राज्यों की तुलना में बहुत ही कम हैं। शेष स्कूल निजी अस्पतालों की ओर से चलाए जाते हैं। निजी अस्पतालों के अधिकारियों के मुताबिक सीटों की संख्या में बढ़ोतरी सही दिशा में एक कदम है, लेकिन प्रशिक्षित नर्सों की मांग पूरी होने पर अधिक सीटों का निर्माण किया जाना चाहिए। पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड ने 6,562 नर्सों के लिए ऑनलाइन आवेदन भी मांगा था।

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