‘जहां माता-पिता का सम्मान नहीं, वह घर श्मशान’
ममता का मंदिर में मना वृद्ध दिवस
‘जहां माता-पिता का सम्मान नहीं, वह घर श्मशान’
कोलकाता. क्यों हम ये भूल जाते हैं कि इस धरती पर हमें भेजा भले ही भगवान ने है लेकिन माध्यम माता-पिता को बनाया है जिनकी बदौलत हम यह खुबसूरत दुनिया देख पाते हैं । हम मंदिर जाकर मूर्ति रुपी भगवान को पोशाक पहनाते हैं और प्रसाद चढ़ाते हैं जबकि घर में माता पिता को भूखा रखते हैं और उनका अनादर करते हैं। पं. मालीराम शास्त्री ने अपनों की ओर से ठुकराये गये बुजुर्गों के जीवन यापन व गोसेवार्थ राजारहाट के पाथेरघाटा में संस्थापित ‘ममता का मंदिर’ में ‘अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस’ के अवसर पर यहां रहने वाले बुजुर्गों के साथ खुशियां मनाते हुए व्यक्त किए। शास्त्री ने बुजुर्गों पर शिक्षिका सुनीता जोशी की भावपूर्ण रचना ‘अमूल्य धरोहर’ की पंक्तियों ‘‘हमने की जिंदगी की शुरुआत जिनके सहारे, आज कर रहे हैं हम उनके ही बंटवारे । कल जिनके हाथ हमारे आंसू पोंछते थे, आज उनकी आँखों में हम भर रहे हैं आँसू ।। को उल्लेखित करते हुए कहा कि माता-पिता ईश्वर का रुप है । माता-पिता सुख की वो कुंजी है जिसमें न कभी जंग लगती है और न कभी दीमक । वो तो ऐसा पेड़ है कि हम उसे सींचे या ना सींचे वो हमें छांव देना कभी नहीं छोड़ता। अत: उनकी आंखों से आंसू गिरे और हम सुखी रहें ऐसा कभी नहीं हो सकता, शास्त्री ने कहा कि वो घर कहां घर है जहां बड़ों को तिरस्कृत किया जाता है। माता-पिता को घृणा भरी नजरों से देखा जाता है, उनकी उपेक्षा की जाती है । वो घर तो सिर्फ श्मशान के समान है इसके अलावा कुछ और नहीं । माता-पिता के आशीर्वाद के बिना हर त्योहार सूना है, अधूरा है । उनकी आंखों में आंसू देकर हम कभी भी सुखी या खुश नहीं रह सकते । हम यह क्यों भूल जाते हैं कि बुढ़ापा एक दिन तो हमें भी आयेगा । जो दिन आज हम उन्हें दिखा रहे हैं क्या हम खुद उससे बच पायेंगे ? आज जो हम अपने माता-पिता के साथ कर रहे हैं हमारे बच्चे वही देख रहे हैं तो कल वो भी तो हमारे साथ यही दोहरायेंगे। उन्होंने कहा कि अभी पितृपक्ष चल रहा है । लोग पूर्वजों के नाम का श्राद्ध कर रहे हैं । खीर, पूड़ी, हलवा, लड्डू न जाने क्या-क्या पकवान बनाकर पूर्वजों के नाम से पंडितों को खिला रहे हैं । उनके नाम से वस्त्र दान कर रहे हैं । लेकिन याद रखना ! अगर जीते जी इनकी सेवा जिसने नहीं की, उन्हें सम्मान नहीं दिया, उनका यह अर्पण-तर्पण पितरों को कतई मंजूर नहीं होगा । पं. शास्त्री ने कहा कि शास्त्रों में पितरों की बड़ी महिमा बताई गई है । जिस घर पर पितरों की कृपा रहती है उस घर में सदैव सुख-समृद्धि, यश-कीर्ति का वास होता है और ऐसा वहीं होता है जहां हमेशा बड़े-बुजुर्गों, माता-पिता का सम्मान होता है ।
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