क्या कहना है मनोरोग विशेषज्ञ का
मनोरोग विशेषज्ञ का कहना है कि स्माटफोन व कम्प्यूटर से दिन भर चिपके रहने वाले बच्चों में कैंसर रोग होना का खतरा होता है। ऑनलाइन गेम एक तरह का नशा है , जो बच्चों को हिस्सात्मक बना रहा है। पिछले साल ऑनलाइन गेम से जुड़ी कई घटनाएं सामने आने थी। एक आंकड़े के मुताबिक पूरी दुनिया में जितने बच्चे ऑनलाइन वीडियों गेम खेलते हैं उनमें से १५ फीसद बच्चे तुनक मिजाज के हो जाते हैं। और छोटी भी बात पर या माता-पिता के डांटने व टीचर के फटकार लगाने पर वह आत्महत्या कर लेते हैं या कोई हिसांत्मक कदम उठा लेते हैं। बर्दवान मेडिकल कॉलेज की मनोरोग विशेष शर्मीला घोष के मुताबिक भारत में ऑनलाइन वीडियो गेम का बच्चों पर बहुत बूरा असर पड़ रहा है। वीडियो गेम से बच्चों का आउटडोर गेम खेलने लगभग बंद हो गया है। जिसके वजह से बच्चों में दबाव झेलने की क्षमता क्षिण हो गई है।
मनोरोग विशेषज्ञ का कहना है कि स्माटफोन व कम्प्यूटर से दिन भर चिपके रहने वाले बच्चों में कैंसर रोग होना का खतरा होता है। ऑनलाइन गेम एक तरह का नशा है , जो बच्चों को हिस्सात्मक बना रहा है। पिछले साल ऑनलाइन गेम से जुड़ी कई घटनाएं सामने आने थी। एक आंकड़े के मुताबिक पूरी दुनिया में जितने बच्चे ऑनलाइन वीडियों गेम खेलते हैं उनमें से १५ फीसद बच्चे तुनक मिजाज के हो जाते हैं। और छोटी भी बात पर या माता-पिता के डांटने व टीचर के फटकार लगाने पर वह आत्महत्या कर लेते हैं या कोई हिसांत्मक कदम उठा लेते हैं। बर्दवान मेडिकल कॉलेज की मनोरोग विशेष शर्मीला घोष के मुताबिक भारत में ऑनलाइन वीडियो गेम का बच्चों पर बहुत बूरा असर पड़ रहा है। वीडियो गेम से बच्चों का आउटडोर गेम खेलने लगभग बंद हो गया है। जिसके वजह से बच्चों में दबाव झेलने की क्षमता क्षिण हो गई है।
बयान: बच्चों को यह बताना जरूरी है कि इंटरनेट पर वीडियो गेम उनके दिमाग व शरीर पर कितना बुरा असर डालता है। डिजीटल मीडिया के अच्छे व बूरे प्रभाव के बारे में बच्चों को बताना जरूरी हैं। पश्चिम बंगाल पुलिस ऑनलाइन गेमींग के प्रति समय समय पर सतर्कता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करती है। बच्चा फोन पर क्या करता है , क्या देखता है । इस पर अभिभावकों को नजर रखनी चाहिए।
सीआईडी, वेस्टबंगाल