6 महिलाओं ने प्रशिक्षण पूरा कर ऑटो चलाने के लिए राज्य सरकार के परिवहन विभाग से लाइसेंस भी प्राप्त किया, मगर इन सबके बावजूद सरकार की तरफ से इस क्षेत्र में कोई सहायता न मिलने के कारण उनकी सारी मेहनत धरी की धरी रह गई। दक्षिण कोलकाता ऑटो यूनियन की ओर से उठाए गए इस सराहनीय कदम का लगभग एक साल बीत चुका है मगर अब तक महानगर में एक भी पिंक (गुलाबी) ऑटो नजर नहीं आ रहा है।
– करने लगी दूसरे के घरों में काम
कुछ महिलाओं ने तो ऑटो चलाने का प्रशिक्षण लेना छोडक़र लोगों के घरों में चूल्हा-चौका और झाड़ू-पोंछा करना शुरू कर दिया है। उनमें से एक ने बताया कि उसका पति ऑटो चालक है। ५ सदस्यों के परिवार का अकेले लालन-पालन करना उसके पति के लिए कठिन था, इसीलिए पति को आय में सहायता करने के लिए उसने ऑटो चलाने का प्रशिक्षण लेना शुरू किया। 1 साल के बाद भी सरकार की ओर से कदम नहीं उठाने पर आखिरकार उसने प्रशिक्षण लेना छोड़ दिया है और दूसरे घरों में काम करती है।
– किसी ने नहीं ली खबर: ऑटो चालक
ऑटो चालक गोपाल सूतर ने बताया कि हमारे समाज में कुछ ऐसी महिलाएं हैं जो परेशानी में होते हुए भी शिक्षा व सहूलियत के हिसाब से अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो पा रही हैं। उन्हें स्वनिर्भर करने के लिए ही यह पहल की गई थी मगर इसे आगे बढ़ाने के लिए कोई सामने नहीं आया, जिसकी वजह से धीरे-धीरे सभी महिलाओं ने उम्मीद छोड़ दी और प्रशिक्षण से दूर हट गई। परिवहन विभाग से भी इस बारे में कई बार गुहार लगाई गई। सरकार ने पिंक कैब की योजना तो चालू कर दी पर इस बारे में किसी ने खबर भी नहीं ली।
– प्रस्ताव आने पर विचार- माला राय
तृणमूल नेता माला राय ने दावा किया कि यह योजना सरकार की ओर से नहीं बनाई गई थी। आने वाले दिनों में अगर ऐसे कार्यों के लिए इच्छुक महिलाएं सामने आएंगी और प्रस्ताव पेश करेंगी तो उनके आर्थिक स्थिति व उनी संख्या के आधार पर गौर किया जाएगा। साथ ही एक जिम्मेदार नेता होने के नाते मैं उनके प्रस्ताव को उक्त विभाग तक ले जाने की कोशिश करूंगी।