देश के महानगरों में कम रहा प्रदूषण
दिवाली में पटाखे पर प्रतिबंध से इस साल देश के महानगरों में प्रदूषण पिछले सालों की तुलना में काफी कम रहा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और अदालत ने वायु और ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए इसबार कालीपूजा, दीपावली और छठपूजा पर पटाखे जलाने पर सख्त प्रतिबंध लगाया था। इसका साफ असर देखा गया।
देश के महानगरों में कम रहा प्रदूषण
कड़ाई: सख्त प्रतिबंध का दिखा असर
कोलकाता. दिवाली में पटाखे पर प्रतिबंध से इस साल देश के महानगरों में प्रदूषण पिछले सालों की तुलना में काफी कम रहा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) और अदालत ने वायु और ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए इसबार कालीपूजा, दीपावली और छठपूजा पर पटाखे जलाने पर सख्त प्रतिबंध लगाया था। इसका साफ असर देखा गया। हालांकि दीपावली पर एनजीटी और अदालत के इस प्रतिबंध का पूर्णरूप से पालना नहीं हुई। पटाखे फूटे, लेकिन पिछले सालों की तुलना में काफी कम स्तर पर।
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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर
दीपावली की रात 10 तक दिल्ली का ओवरऑल एयर क्वालिटी इंडेक्स 454 रहा। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के अनुसार, वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) आनंद विहार में 481, आइजीआई हवाई अड्डे के क्षेत्र में 444 में, आइटीओ में 457,और लोधी रोड क्षेत्र में 414 रहा। हालांकि यह स्तर मानव स्वास्थ्य के लिए खराब है, लेकिन पिछले साल की तुलना में कम है। वर्ष 2018 में एक्यूआई 600 के पार चला गया था।
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कोलकाता का हाल
पश्चिम बंगाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (डब्ल्यूबीपीसीबी) के अनुसार दीपावली की रात उत्तर कोलकाता में रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय परिसर में पीएम 2.5 का स्तर 226 रिकॉर्ड किया गया था। दक्षिण बालीगंज में लेवल 142, शहर के मध्य भाग में विक्टोरिया में 115 और पूर्व कोलकाता के विधाननगर में 151 था। वर्ष 2019 में रवींद्र भारती विश्वविद्यालय में दिवाली की शाम को एक्यूआई लेवल 700 से ऊपर था।
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हाल-ए-मुम्बई
दीपावली की रात मुम्बई में लोगों के पटाखे फोडऩे के बाद पार्टिकुलेट मैटर (पीएम) 10 का स्तर 291 जबकि पीएम 2.5 का स्तर 251 तक पहुंच गया था। पिछले साल की तुलना में यह काफी कम है।
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आठ शहरों में प्रदूषण में कमी
पंजाब में भी प्रदूषण इस साल कम हुआ। चंडीगढ़ समेत प्रदेश के विभिन्न शहरों में पिछले साल की तुलना में कम प्रदूषण हुआ है। पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, राज्य के आठ शहरों में एक्यूआई 210 रहा। वर्ष 2018 में यह 234 और वर्ष 2017 में 328 था। इस तरह पिछले वर्ष के मुकाबले एक्यूआई में 10.25 प्रतिशत और वर्ष 2017 के मुकाबले 36 प्रतिशत की कमी आई है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानक
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानकों के मुताबिक 50 पीएम 10 और 25 पीएम 2.5 ही सांस लेने के लिए सुरक्षित माना जाता है।
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इनका कहना है
इस बार लोगों ने आतिशबाजी को लेकर समझदारी दिखाई जिसकी वजह से प्रदूषण लेवल पिछले साल की तुलना में कम खतरनाक रहा है।
कल्याण रूद्र, डब्ल्यूबीपीसीबी