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कोलकाता

‘जीवन मुक्ति का ज्ञान ही सच्ची विद्या’

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बरानगर शाखा की परिचर्चा

कोलकाताNov 23, 2018 / 10:38 pm

Shishir Sharan Rahi

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‘जीवन मुक्ति का ज्ञान ही सच्ची विद्या’

कोलकाता. प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू की ध्यान-रोजयोग विशेषज्ञ ब्रह्माकुमारी शीलू दीदी ने कहा कि विद्या वही है, जो दुख, रोग, कष्ट, तनाव और अवसाद से मुक्ति दे। समस्याओं से मुक्त करे। जीवन मुक्ति का ज्ञान ही सच्ची विद्या है और जीवन मुक्ति का ज्ञान केवल भगवान ही दे सकता है। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय, आबू से 2 दिवसीय दौरे पर कोलकाता पहुंचीं बीके शालू ने प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की बरानगर शाखा की ओर से आयोजित परिचर्चा में भाग लेते हुए यह बात कही। बरानगर शाखा की प्रभारी बीके किरण, बीके पिंकी सहित अन्य ने स्वागत किया। बीके शीलू ने कहा कि देश में बहुत सारे ऐसे कॉलेज और विश्वविद्यालय हैं, जो डॉक्टर और इंजीनियर बनाते हैं, लेकिन कोई भी ऐसा संस्थान नहीं जो मानव को महामानव बनाता है। देश और विदेश में फैले प्रजापिता ईश्वरीय विश्व विद्यालय की विभिन्न शाखाओं में मूल्य बोध की शिक्षा, जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। विश्वविद्यालय में धन कमाने नहीं, वरन मूल्य कमाने और जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। उन्होंने कहा कि विश्व में जाति-पाति, धर्म और भाषा का भेदभाव बढ़ते जा रहा है, लेकिन ईश्वरीय विश्वविद्यालय विश्व शांति और सौहार्द के लिए निरंतर कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि दुनिया में लोग देह अभिमानी हैं। ऐसा कहा गया है कि ब्रह्म सत्य है और जग मिथ्या। उसी तरह आत्मा सत्य और देहाभिमान मिथ्या है। सबकुछ नष्ट हो जाता है, लेकिन चेतना कभी नष्ट नहीं होती।
ईश्वरीय विश्व विद्यालय का उद्देश्य मानव को अंधकार से निकाल कर उजाला में लाना और ज्ञान का प्रकाश देकर शक्तिहीन आत्मा को परमात्मा के समीप पहुंचाना है। जब तक देह से मोह रहेगा. कोई परमात्मा से नहीं जुड़ सकता। आत्मा का ज्ञान ही स्वाभाविक ज्ञान है। आज ऐसे वाकये सुनने को मिलते हैं कि मां ने बच्चे को डांटा और बच्चे ने अपने जीवन को अंत कर लिया। सहनशक्ति के अभाव के कारण ही इस तरह की घटनाएं घटती हैं। राजयोग और ध्यान से न केवल तनाव से मुक्ति मिलती है, वरन व्यक्ति को सहनशील और शांत बनाता है। उन्होंने कहा कि देश-समाज को बदलने के लिए यह जरूरी है कि पहले खुद को बदला जाए। खुद के बदलाव से ही देश और समाज के बदलाव के रास्ते निकलते हैं। इस अवसर पर बीके भाई-बंधुओं ने गीत संगीत भी प्रस्तुत किया। गुरुनानक फार्मेंसी इंस्टीट्यूट में गुरुवार दोपहर छात्रों को ध्यान और राजयोग का पाठ पढ़ाया गया।

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