ईश्वरीय विश्व विद्यालय का उद्देश्य मानव को अंधकार से निकाल कर उजाला में लाना और ज्ञान का प्रकाश देकर शक्तिहीन आत्मा को परमात्मा के समीप पहुंचाना है। जब तक देह से मोह रहेगा. कोई परमात्मा से नहीं जुड़ सकता। आत्मा का ज्ञान ही स्वाभाविक ज्ञान है। आज ऐसे वाकये सुनने को मिलते हैं कि मां ने बच्चे को डांटा और बच्चे ने अपने जीवन को अंत कर लिया। सहनशक्ति के अभाव के कारण ही इस तरह की घटनाएं घटती हैं। राजयोग और ध्यान से न केवल तनाव से मुक्ति मिलती है, वरन व्यक्ति को सहनशील और शांत बनाता है। उन्होंने कहा कि देश-समाज को बदलने के लिए यह जरूरी है कि पहले खुद को बदला जाए। खुद के बदलाव से ही देश और समाज के बदलाव के रास्ते निकलते हैं। इस अवसर पर बीके भाई-बंधुओं ने गीत संगीत भी प्रस्तुत किया। गुरुनानक फार्मेंसी इंस्टीट्यूट में गुरुवार दोपहर छात्रों को ध्यान और राजयोग का पाठ पढ़ाया गया।