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कोलकाता

भजनों से बाबा श्याम को रिझाया

श्याम सेवा संघ ने धूमधाम से मनाया निशान महोत्सव -खाटूधाम प्रस्थान 17 को, 18 को चढ़ाएंगे निशान

कोलकाताFeb 15, 2018 / 10:24 pm

Shishir Sharan Rahi

kolkata

कोलकाता. श्याम भक्तों की लगभग तीन दशक पुरानी संस्था जयश्री श्याम सेवा संघ ने फाल्गुन मेला-2018 में शामिल होने के लिए खाटूश्याम (राजस्थान) के लिए रवाना होने से पहले इस वर्ष भी श्याम निशान महोत्सव का भव्य आयोजन जैसोर रोड स्थित गोकुल धाम में किया। इसमें खाटूवाले श्याम प्रभु के तेजस्वी शीश की नयनाभिराम झांकी के समक्ष ‘जय श्रीश्याम, खाटूवाले बाबा जयश्री श्याम’ संकीर्तन के मध्य ज्योति प्रज्जवलन के साथ प्रारम्भ होकर कार्यक्रम देर रात तक चला। महोत्सव में भजनों का शुभारम्भ सेवा संघ परिवार के रवीन्द्र केजरीवाल ‘रवि’, पवन धानुका, कमल मानपुरिया, मनोज खेमका, राजकुमार हांसीवाला, बनवारी हरभजनका, अनुप पोद्दार आदि सदस्यों की ओर से किया गया। खाटूधाम से पधारे भजन गायक पप्पू शर्मा ने सुमधुर भजनों से बाबा श्याम को रिझाया। इसके अलावा राजगुरु की जोड़ी ने भी भजनों की सरिता प्रवाहित कर भक्तों को भाव-विभोर किया। इस अवसर पर बुद्धिप्रकाश सर्राफ, सम्पतमल बच्छावत व गणेशदास चौधरी सहित अनेक गणमान्य लोगों के साथ महोत्सव में सैकड़ों भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सेवा संघ के अध्यक्ष रवीन्द्र केजरीवाल ने बताया कि इस महोत्सव में जिन 4 निशानों की पूजा की गई, वे निशान लेकर सेवा संघ परिवार के 100 सदस्य 17 से 19 फरवरी के बीच 3 चरणों में कोलकाता से जयपुर के लिए विमान से प्रस्थान करेंगे। वहां से खाटूश्याम (राजस्थान) जाकर 18 फरवर्री को निशान शोभायात्रा निकालकर पहले एक निशान रींगस श्याम मंदिर और फिर बाकी के तीन निशान खाटूश्याम मंदिर में अर्पित किए जाएंगें। इनमें एक हनुमान प्रभु व 2 बाबा श्याम को अर्पित किया जाएंगे जिसमें एक चांदी का निशान भी शामिल है।
सीकर जिले में है खाटूश्याम
खाटू श्याम राजस्थान के सीकर जिले में एक प्रसिद्ध कस्बा है, जहां पर बाबा श्याम का विश्व विख्यात मंदिर है। हिन्दू धर्म के अनुसार, खाटू श्याम कलियुग में कृष्ण के अवतार हैं, जिन्होंने कृष्ण से वरदान प्राप्त किया था कि वे कलियुग में उनके नाम श्याम से पूजे जाएंगे। कॉष्ण बर्बरीक के महान बलिदान से काफ़ी प्रसन्न हुए और वरदान दिया कि जैसे-जैसे कलियुग का अवतरण होगा, तुम श्याम के नाम से पूजे जाओगे। श्याम बाबा की अपूर्व कहानी मध्यकालीन महाभारत से आरम्भ होती है। वे पहले बर्बरीक के नाम से जाने जाते थे।

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