इधर, राज्य के कृषि विपणन मंत्री तपन दासगुप्ता ने बताया कि सरकार ने व्यापारियों को सतर्क किया है कि वे प्याज का कृत्रिम संकट पैदा ना करें। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अस्थायी है। राज्य सरकार अपनी योजना सुफल बांग्ला के माध्यम से लोगों को सस्ती दर पर प्याज उपलब्ध कराने का प्रयास कर रही है।
दूसरे राज्यों पर निर्भरता दूर करने पर जोर-
कृषि विपणन मंत्री ने बताया कि बंगाल में सालाना 8 लाख टन प्याज की खपत होती है। प्याज को लेकर दूसरे राज्यों पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से राज्य सरकार बांकुड़ा, पुरुलिया, नदिया समेत दूसरे जिलों में प्याज की खेती पर जोर दे रही है। फिलहाल राज्य में 2 लाख टन प्याज का ही उत्पादन हो रहा है।
फरवरी के मध्य तक मिलेगी राहत-
फोरम ऑफ ट्रेडर्स ऑर्गनाइजेशन ऑफ पश्चिम बंग के महासचिव कोले ने बताया कि नासिक से प्याज की सप्लाई शुरू होने के पश्चात स्थिति सुधर जाएगी। उम्मीद है कि फरवरी के मध्य तक प्याज की कीमतें कम होंगी। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के हवाले से कोले ने बताया कि वर्ष 2016-17 में देश में प्याज का उत्पादन 224 लाख टन था। चालू फसल के सीजन में प्याज की बुवाई गत वर्ष 13 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 2017-18 में 1.10 लाख हेक्टेयर कम होकर 11.9 लाख हेक्टेयर पर ही हुई है। कारण यह कि बुवाई के वक्त महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में कम बारिश हुई थी। इस साल देश में 214 लाख टन प्याज का उत्पादन होने का अनुमान है। कोले ने बताया कि कम उत्पादन का असर कीमतों पर पडऩे से रोका नहीं जा सकता।