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कोलकाता

कुमारसभा पुस्तकालय को राजर्षि टंडन सम्मान

उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के तत्वावधान में समारोह आयोजित

कोलकाताOct 25, 2018 / 10:50 pm

Shishir Sharan Rahi

kolkata

कुमारसभा पुस्तकालय को राजर्षि टंडन सम्मान


कोलकाता. उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के तत्वावधान में आयोजित समारोह में बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय को 2017 का राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन सम्मान प्रदान किया गया। शरद पूर्णिमा बुधवार को आयोजित इस समारोह में सम्मान स्वरूप शॉल, ताम्रपत्र, गंगा प्रतिमा तथा 4 लाख का ड्राफ्ट उत्तर प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने प्रदान किया। पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ.प्रेमशंकर त्रिपाठी तथा मंत्री महावीर बजाज ने कुमारसभा की ओर से सम्मान ग्रहण किया। लखनऊ के यशपाल सभागार में संपन्न अलंकरण समारोह में संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ.सदानंद प्रसाद गुप्त, साहित्यकार डॉ. रमेश चंद्र शाह, पंडित दीनदयाल उपाध्याय सम्मान से अलंकृत डॉ.धर्मपाल मैनी, संस्थान निदेशक शिशिर, प्रमुख सचिव(भाषा) जितेंद्र कुमार के साथ कुमारसभा अध्यक्ष डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी मंच पर उपस्थित थे। त्रिपाठी ने कहा कि यह सम्मान पुस्तकालय की उन विभूतियों का सम्मान है जिन्होंने अपनी दीर्घ साधना से, हिंदी निष्ठा से इसे पुष्पित-पल्लवित किया है। उन्होंने संस्थापक राधाकृष्ण नेवटिया की समाज-सचेतनता, आचार्य विष्णुकांत शास्त्री और जुगल किशोर जैथलिया की कर्मठता का स्मरण किया। त्रिपाठी ने कहा कि पुस्तकालय के शताब्दी वर्ष में प्राप्त यह सम्मान इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन के नाम से सम्बद्ध है। उन्होंने बताया कि टंडन 2 नवंबर, 1953 को पुस्तकालय में पधारे थे और सम्मति पुस्तिका में पुस्तकालय के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त की थी। डॉ. रमेश चन्द्र शाह को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के सर्वोच्च पुरस्कार- भारत भारती से नवाजा गया। संस्थान के यशपाल सभागार में हुए समारोह में विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. सदानंद प्रसाद गुप्त और निदेशक शिशिर की मौजूदगी में डॉ. रमेश के साथ कई साहित्यकारों और मेधावियों को अलग-अलग सम्मान व पुरस्कार दिए। इस दौरान डॉ. एके त्रिपाठी की लिखी ‘प्लेट्लेस की कमी-भ्रांति एवं समाधान’ और संस्थान की पत्रिका ‘साहित्य भारती’ के ‘हिन्दी विश्व’ और ‘भारतीय संस्कृति’ विशेषांक का विमोचन किया गया। समारोह की शुरुआत पूनम श्रीवास्तव ने सरस्वती वंदना के साथ की। इसके बाद अमिता दुबे के संचालन में पुरस्कार बांटे गए। इस दौरान डॉ. जय प्रकाश कर्दम, दीप्ति गुप्ता, डॉ. शकुंतला कालरा नहीं पहुंच सके, जबकि डॉ. सुंदरलाल कथूरिया को मरणोपरांत साहित्य भूषण सम्मान दिया गया। यह सम्मान उनके पुत्र ने लिया। डॉ. गणेश शंकर पालीवाल को चलने में दिक्कत थी। इस कारण उन्हें दर्शक दीर्घा में सम्मानित किया गया। इस मौके पर घोषणा हुई कि संस्थान महात्मा गांधी की स्मृति में साल भर आयोजन करेगा। समारोह की अध्यक्षता कर रहे विधानसभा अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित ने कहा कि साहित्य समाज को मार्ग दिखाता है। भारत भारती से सम्मानित डॉ. रमेश चन्द्र शाह ने कहा कि लिखना वास्तव में सांस लेने जैसा है। साहित्य कोई उलटबांसी नहीं है। यह भोगा हुआ सत्य है, जो व्यक्ति को जड़ों से जोड़ता है। हिन्दी गौरव से अलंकृत डॉ. रामदेव शुक्ल ने कहा कि वर्तमान में दो तरह की रचनाएं लिखी जा रही हैं। एक पुरस्कार पाने के लिए सत्ता की प्रशंसा में लिखी जा रही है तो दूसरी जो सत्ता का प्रतिकार करती है। वास्तव में साहित्य वही है, जिसमें समाज का हित जुड़ा हो।

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