कोलकाता. सत्संग के अभाव और कुसंग के प्रभाव से ही जीवन में दोषों का आविर्भाव होता है। गुरुकुल शिक्षा का एकमात्र माध्यम है, जो संस्कार-संस्कृति के संरक्षण और संवद्र्धन में विशिष्ट भूमिका निभाता है। वृंदावन से आए गुरुकुल के वैदिक पथिक भागवत किंकर अनुरागकृष्ण शास्त्री उर्फ कन्हैयाजी ने ये उद्गार व्यक्त किए। बिड़ला मंदिर के सामने कृष्णा निवास में श्रीमद्भागवत कथा पारायण का उद्घाटन रविवार को महानिर्वाणी अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी परमात्मानंद ने किया। उन्होंने कहा कि जन्म पर बंटने वाली मिठाई से शुरू जिंदगी का खेल श्राद्ध की खीर पर आकर खत्म होती है। यहीं जीवन की मिठास है लेकिन दुर्भाग्य है कि इन दौनों मौकों पर ये दोनों चीज मानव नहीं खा सकता। इसलिए जीवन की सार्थकता ही जीवन की सरलता में है। 15 दिसम्बर को शुरू हुई श्रीमद्भागवत कथा 21 दिसंबर तक रोज दोपहर 2 से 6 बजे तक चलेगी।
रविवार को श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ अवसर पर पौथी और कलश यात्रा भी निकाली गई। चांदमल अग्रवाल, सागरमल अग्रवाल, प्रवीण कुमार अग्रवाल, राधेश्याम गोयनका, रवि भलोटिया, रचना बगडिय़ा, पूजा अग्रवाल, विनोद बागडोरिया और अनुपमा अग्रवाल आदि ने भक्ति भाव से पूजन किया।