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कोलकाता

संकट में ग्रामीण तांती साड़ी उद्योग

पूर्व बर्दवान का समुद्रगढ़ क्षेत्र बुनाई उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। बुनाई की साड़ी यहां घर-घर बनाई जाती है। यहां के लोग बुनाई उद्योग पर निर्भर हैं। यहां से पूरे राज्य, असम, त्रिपुरा, दक्षिण भारत सहित देश के विभिन्न हिस्सों में साडिय़ां भेजी जाती हैं। यहाँ जो बुनाई साड़ी बनाई जाती है वो ताँति जामदानी होती है

कोलकाताDec 22, 2020 / 11:47 pm

Rabindra Rai

संकट में ग्रामीण तांती साड़ी उद्योग

संकट में ग्रामीण तांती साड़ी उद्योग

पूर्व बर्दवान में सैकड़ों श्रमिक हो रहे बेरोजगार
– अत्याधुनिक मशीन और प्रतिस्पर्धा के दौर में टिकना हो रहा मुश्किल
कैलाश प्रसाद
कोलकाता. पूर्व बर्दवान का समुद्रगढ़ क्षेत्र बुनाई उद्योग के लिए प्रसिद्ध है। बुनाई की साड़ी यहां घर-घर बनाई जाती है। यहां के लोग बुनाई उद्योग पर निर्भर हैं। यहां से पूरे राज्य, असम, त्रिपुरा, दक्षिण भारत सहित देश के विभिन्न हिस्सों में साडिय़ां भेजी जाती हैं। यहाँ जो बुनाई साड़ी बनाई जाती है वो ताँति जामदानी होती है। यह जामदानी साड़ी तीन तरीके से बनाई जाती है। पहली जो प्योर सूती की साड़ी, दूसरी जो सूती और सिंथेटिक यार्न के संयोजन से बनाई जाती है और तीसरी पूरी तरह सिंथेटिक यार्न से बनाई जाती है जो चमकदार होती है। सूती धागे से बनी जामदानी में इतनी चमक नहीं होती है। इस उद्योग से जुड़े लोगों के अनुसार, हाथ से बुनाई करके साड़ी बनाने में डेढ़ दिन का समय लगता है, लेकिन चीन से आयातित अत्याधुनिक मशीन के कारण जामदानी साड़ी या बुनाई की साड़ी को बनाने में बहुत कम समय लगता है तथा उत्पादन बहुत अधिक होता है। अत्याधुनिक मशीन से प्रति दिन बीस से पच्चीस साडिय़ां बनती है। इसके अलावा चीन में बनी मशीन आकार में छोटी है, इसकी उत्पादन संख्या प्रतिदिन चार से पांच है और हाथ से साड़ी बनाने में डेढ़ से दो दिन लगते हैं। आर्थिक रूप से मजबूत लोगों ने अत्याधुनिक मशीन को स्थापित करना शुरू कर दिया है। इससे क्षेत्र के कमजोर लोगों पर प्रभाव पड़ रहा है। अत्याधुनिक मशीन से कम श्रम की आवश्यकता होती है तथा अधिक उत्पादन होता है। भविष्य में इस क्षेत्र में रोजगार और आर्थिक संकट पैदा होगा। प्रतिस्पर्धा के दौर में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का टिकना मुश्किल हो जाएगा। उन्हें संकट का सामना करना पड़ सकता है।

राज्य सरकार से मदद की आस
क्षेत्र के अधिकांश लोग बुनाई उद्योग पर निर्भर हैं और राज्य सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है। उन्हें मदद की आस है। बुनाई उद्योग से जुड़े लोगों की शिकायत है कि राज्य सरकार के संगठन तंतुज श्री मंजूषा ग्रामीण साड़ी उद्योग खादी उद्योग भवन में पारदर्शित नहीं है। सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं के इशारे पर पसंदीदा बुनकरों से साडिय़ां खरीदी जा रही है। बुनकरों का कहना है कि उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल रहा है।
उद्योग से जुड़े लोगों ने शिकायत की है कि सरकार जो ऋण दे रही है, वो उन्हें तब मिल रहा है जब वे सहकारी समितियों के माध्यम से उन्हें लेने जा रहे हैं।

सीधी खरीद की अपील
बुनकर सरकार से अपील कर रहे हैं कि बोलियां लगाकर सीधे हमारे पास आएं इस खरीद से सरकार को लाभ होगा और हम न केवल विज्ञापन से बल्कि सरकार से भी लाभान्वित होंगे। भविष्य में क्षेत्र के लोग बुनाई उद्योग को जीवित रखने में सक्षम होंगे। बढ़ती बेरोजगारी और कोरोना महामारी के कारण आर्थिक संकट से बचा सकता है। सरकार को सीधे इन बुनकरों तक पहुंचना चाहिए, उनसे साड़ी खरीदनी चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए।

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