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कोलकाता

Strike against privatization : कोल इंडिया के निजीकरण के खिलाफ फिर 18 अगस्त को हड़ताल

सरकार के फैसले के विरोध में जनमत तेैयार करेंगी केन्द्रीय ट्रेड यूनियन

कोलकाताJul 06, 2020 / 02:35 am

Manoj Singh

Strike against privatization : कोल इंडिया के निजीकरण के खिलाफ फिर 18 अगस्त को हड़ताल

Strike against privatization : कोल इंडिया के निजीकरण के खिलाफ फिर 18 अगस्त को हड़ताल

41 कोयला ब्लॉकों की नीलामी के विरोध में फिर 18 अगस्त को करेंगी हड़ताल, आरएसएस के बीएमएस भी शामिल
कोलकाता:
वाणिज्यिक कोयला खनन के लिए देश के 41 कोयलका ब्लॉकों की नीलामी के विरोध में तीन दिवसीय हड़ताल करने के बाद देश के पांच केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने फिर से 18 अगस्त को हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। साथ ही वे सरकार के फैसले के खिलाफ आम लोगों के बीच जाकर जनमत तैयार करेंगी। उसी दिन उक्त 41 कोयला खधानों की नीलामी के लिए बोली लगाने की अंतिम तिथि है। इसमें राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के केन्द्रीय ट्रेड यूनियन भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) भी शामिल है।
निजी कंपनियों के हाथों 41 कोयला खधानों को नीलाम करने के विरोध में इंटक, सीटू और बीएमएस सहित कोयला क्षेत्र के पांच केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने रविवार को कहा कि उनके तीन दिन के हड़ताल के बाद भी केन्द्र सरकार अपने फैसले से नहीं हटी। लेकिन वे अपना विरोध जारी रखेंगे। बीएमएस के वरिष्ठ नेता बीके राय ने बताया कि वे भी पीछे नहीं हटेंगे। उनका विरोध जारी रहेगा। अब वे सरकार के इस जन विरोधी फैसले के खिलाफ कोेयला खधान वाले इलाकों की जनता के बीच जाएंगे और सरकार के खिलाफ जनमत तैयार करेंगे। सभी पांच केन्द्रीय ट्रेड यूनियन कोयला खधान क्षेत्र में विरोध प्रदर्शन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि इलाके में कोई भी खाधानों की बोली लगाने वाले कोई भी निजी कंपनी का प्रतिनिधी प्रवेश नहीं कर सके। उन्होंने बताया कि गत शनिवार को सभी पांच ट्रेड यूनियनों ने शनिवार को एक बैठक में 18 अगस्त को फिर से हड़ताल पर जाने का फैसला किया था।
उल्लेखनयी है कि सरकार के इस फैसले के विरोध में केन्द्री ट्रेड यूनियनों की ओर से किए गए तीन दिवसीय हड़ताल शनिवार को समाप्त हो गया। हड़ताल के दौरान अधिकांश खानों में उत्पादन ठप रहा और ईंधन का प्रेषण पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया।वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला खानों की नीलामी से अगले पांच से सात वर्षों में देश में 33,000 करोड़ रुपए की पूंजी निवेश की उम्मीद है।

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