बीकानेर से शुरू हुई यात्रा ने कोलकाता पहुंचकर नया मोड़ ले लिया। यह यात्रा जिंदगी की थी तो कुछ कर गुजरने की भी। सिटी ऑफ जॉय में 68 साल की अवधि बिताने के बाद भी ऐसा लगता है मानो कल ही की बात हो। जब यहां आए तो मामा का घर एकमात्र ठिकाना था। उनके पास रहकर धीरे-धीरे पान मसाले का कारोबार शुरू किया। उसमें अलग-अलग तरह के इत्र मिलाने पर कामयाबी मिलने लगी। फिर इत्र संग्रहण का शौक लग गया और एक अलग ही यात्रा शुरू हो गई, जो उम्र के 80 बसंत पार करने के बाद भी बरकरार है। वे राजस्थान से निकले भले अकेले थे।
कोलकाता•Jan 10, 2020 / 09:02 pm•
Rajendra Vyas
Gopaldas Daga
शख्सियत: गोपाल दास डागा के पास है कई पुराने इत्र का संग्रह