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कोलकाता

पुस्तकालय की एक-एक ईंट में गाथा छुपी है इतिहास की

 
– हिन्दी व संस्कृत की पुस्तकों के लिए देश भर में जाना जाता है राममंदिर पुस्तकालय

कोलकाताFeb 18, 2020 / 04:51 pm

Vanita Jharkhandi

पुस्तकालय की एक-एक ईंट में गाथा छुपी है इतिहास की

पुस्तकालय की एक-एक ईंट में गाथा छुपी है इतिहास की

 

कोलकाता. भूतल पर भगवान राम-सीता, सरस्वती-लक्ष्मी की प्रतिमाएं स्थापित हैं। पहली मंजिल के विशाल कक्ष में पुस्तकों का भण्डार हैं। जहां हर दिन बड़ी संख्या में लोग समाचार पत्र पढऩे, विद्यार्थी करियर की तैयारी में जुटे रहते हैं। शाम को बुद्धिजिवियों व शिक्षकों का जमावड़ा लगता है। जी हां बात की जा रही है सीआर एवेन्यु स्थित सेठसूरज मल जालान बालिका विद्यालय के पहली मंजिल पर दशकों पुराने पुस्कालय की। जहां 33 हजार 19 पुस्तकों का ज्ञान कोष है। जिन्हें बांच कर बहुत से लोगों में रचनात्मकता जागी। कई लोग नामी साहित्यकार बने, कई लोग प्रोफेसर, शोधकर्ता बने।

पुस्तकालय का इतिहास
सेठ सूरजमल जालान ट्रस्ट की ओर से संचालित पुस्तकालय की स्थापना 7८ वर्ष पहले 1941 में हुई थी। राजस्थान के रतनगढ़ निवासी सेठ सूरजमल जालान ने वर्ष 1904 में सूरजमल नागरमल फर्म की स्थापना की थी। उस समय उन्होंने हिन्दी के महत्व को समझा था। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए पुस्तकालय की आवश्यकता को समझा था। वर्ष 1919 में हावड़ा के सलकिया में श्रीहनुमान पुस्तकालय की स्थापना की थी। उन्हें हिन्दी पुस्तकों से लगाव था, इसलिए अपने पैतृक स्थान में भी पुस्तकालय खोला था। वे चाहते थे कि हिन्दी की सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों का भण्डार उनके पास हो। इस बीच उनकी मौत हो गई पर संस्कार की विरासत उनके पुत्र मोहनलाल जालान ने आगे बढ़ाई। वर्ष 1939 में 186 सी.आर एवेन्यु में राममंदिर की स्थापना की। बालिका विद्यालय की स्थापना की बाद में वहीं पर वाचनालय खोला गया।

हिन्दी-संस्कृति और हस्तलिखित पुस्तकों का है भण्डार
पुस्तकालय में कुल 33019 पुस्तकें है। जिनमें से हिन्दी की 26,986, संस्कृत की 1,708 व हस्तलिखित पुस्तकों की संख्या 3476 है। साथ ही राजस्थानी, अंग्रेजी की भी पुस्तकें है। नियमित तौर पर 75 पत्र-पत्रिकाएं आती हैं। समाचार पत्र, पत्रिकाएं, मासिक पत्रिकताएं भी आती हैं। यहां पर पं. सकलनारायण शर्मा, नागार्जुन,डॉ. हरिवंश राय बच्चन, वियोगी हरि, आचार्य विष्णुकान्त शाी, शिवमंगल सिंह सुमन, डॉ. नरेन्द्र कोहली आदि विशिष्ट लोगों का आवागमन रह चुका है।

हर वर्ष तुलसी जयन्ती समारोह के आयोजन की श्रृंखला 1946 से निरन्तर चली आ रही है।
पुस्तकालय की गरिमामय शुरूआत को मौजूदा अध्यक्ष भरत कुमार जालान व मंत्री दुर्गा व्यास के साथ ही कार्यकारिणी समिति के डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी, विश्वम्भर नेवर, अनुश्री जालान, सागरमल गुप्ता, महावीर प्रसाज बजाज, अरुण प्रकाश मल्लावत, विधुशेखर शाी सफलता पूर्वक आगे बढ़ा रहे हैं।

पुस्तकों के संरक्षण में ले रहे क्यूरेटर की मदद
पुस्तकों के भण्डार को संरक्षित करने के लिए नेशनल लाइब्रेरी के क्यूरेटर से सुझाव ले रहे है। पुरानी पुस्तकों के सरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। अनमोल कृतियों के डिजिटलीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं। यह काम लम्बा और खर्चीला है। गंभीरता से रास्ते निकाले जा रहे हैं।

भरत कुमार जालान, अध्यक्ष, सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय

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शुरू करेंगे नियमित साहित्यिक कार्यक्रम

पुस्तकालय में विद्यार्थी पढ़ रहे हैं, शोध कर रहे हैं। पुस्कालय के प्रति लोगों का रुझान बना रहे इसलिए बीच-बीच में साहित्यिक कार्यक्रम होते है। अप्रेल महीने से प्रति दो माह पर एक साहित्यिक कार्यक्रम की शुरूआत करने जा रहे है। अप्रेल में छायावाद के सौ वर्ष पूरे होने पर कार्यक्रम कर रहे है। 11 वीं-12वीं , कॉलेज, विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को ध्यान में रखते हुए कार्यक्रम कर रहे हैं।

दुर्गा व्यास, मंत्री, सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय
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जीवन्त है पुस्तकालय

पुस्तकालय ने व्यक्तित्व निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। 1973-74 से यहां निरंतर आते हैं। पुस्कालय में कृतियों का विपुल भण्डार तो है ही साथ ही लाइब्रेरियन के रूप में पूर्व में त्रिभुवन तिवारी,श्रीराम तिवारी का मार्गदर्शन उल्लेखनीय रहा है। वे बताते थे कि कौन सी पुस्तक पढ़ें कैसे नोट्स तैयार करें। उसी परम्परा को श्रीमोहन तिवारी भी निभा रहे हैं। वे पुस्तकों के साथ ही विद्यार्थियों को गाइड भी कर रहे है। पुस्कालय की जीवन्तता है।

– प्रो. बसुमति डागा,

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