उनके अनुसार यह सत्य है कि यहां का पेयजल 100 प्रतिशत शुद्ध नहीं है, पर यह पीने योग्य है। निगम की ओर से पेयजल को लेकर लगातार जांच की जाती है। पेयजल को शुद्ध बनाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाते हैं। इसके फलस्वरूप हर बार इसकी गुणवत्ता और बेहतर होती जा रही है।
निगम के विभागीय अधिकारी ने भी यही दावा किया है कि कोलकाता का पानी देश के कई शहरों की तुलना में कई गुणा बेहतर है। इसकी गुणवत्ता पर लगातार नजर रखी जाती है। एक निश्चित अंतराल के बाद शहर के विभिन्न वॉर रिजर्वर से नमूने संग्रहित करके उसकी जांच होती है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने 12 शहरों के शुद्ध पेयजल को लेकर एक रिपोर्ट पेश की। इसमें मुंबई पहले स्थान पर था तो अंतिम स्थान पर दिल्ली था। वहीं कोलकाता 11वें पर। ऐसे में यहां के लोगों के मन में शंका पैदा होने लगी। उन्होंने कहा कि केंद्र ने किस हिसाब से पेयजल को नमूनों की जांच की है, इसका मुझे पता नहीं? लेकिन कोलकाता नगर निगम ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड की संरचना के अनुसार ही लगातार पेयजल के नमूनों को संग्रहित कर जांच कराते रहते हैं।
वहीं इस दिन उन्होंने केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि गंगा के पूर्णत: स्वच्छ नहीं रहने के बावजूद कोलकाता का पेयजल अभी काफी शुद्ध है। केंद्र की परियोजना नमामी गंगे के तहत अगर उन्हें सही से सहायता मिलती तो यहां का पेयजल और शुद्ध होता।