परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल राजूदास की मां धापू देवी, पत्नी गुड्डी देवी, बहन जयंती और ढेली, भाई कुंभदास का रो-रो कर बुरा हाल हो रहा था। पांच वर्षीय पुत्र रमेश ने मुखाग्नि दी। इससे पहले सुबह छह बजे उसका शव पहुंचा और करीब साढ़े दस बजे अंतिम संस्कार कर दिया गया।
यह है मामला रोजी-रोटी के जुगाड़ में करीब छह माह पूर्व काश्मीर गांव का युवक राजूदास सऊदी अरब गया। वहां पर उसकी मौत हो गई, इसकी सूचना तो परिजनों को तभी मिल गई, लेकिन उसका शव भारत लाने में परिजनों को चक्कर पर चक्कर काटने पड़े। प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की दर पर सिवाय आश्वसनों के कुछ नहीं मिला।
पत्रिका बना मददगार राजस्थान पत्रिका ने इस संबंध में सिलसिलेवार खबरों का प्रकाशन किया। पत्रिका टीवी में इस मामले को प्रमुखता से प्रसारित किया। इसके बाद सरकार व प्रशासन में हरकत हुई। राजूदास के शव को भारत लाने में फिर ठोस पैरवी हुई और उसी के चलते राजूदास की माटी के अंतिम दर्शन राजूदास के परिवार को हुए। भाई कुंभदास के अनुसार पत्रिका ने परिजनों की आवाज सुनी, जिसके चलते राजूदास का अपने गांव में अंतिम संस्कार कर पाए।
गर्दन पर चोट के निशान परिजन की मानें तो उसकी गर्दन पर चोट के निशान थे। हालांकि अब सिवाय संदेह के कुछ नहीं बचा है। उल्लेखनीय है कि परिजन को बताया गया था कि राजूदास ने वहां आत्महत्या कर ली।