scriptबंगाल में तृणमूल की मुश्किलें बढ़ीं, भाजपा के हाथ में कैब, तो ओवैसी डाल रहे अल्पसंख्यकों पर डोरे | Trinmool facing multifrontal challenge in West Bengal | Patrika News
कोलकाता

बंगाल में तृणमूल की मुश्किलें बढ़ीं, भाजपा के हाथ में कैब, तो ओवैसी डाल रहे अल्पसंख्यकों पर डोरे

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में इन दिनों तृणमूल कांग्रेस (Trinmool Congress) के सामने बहुमुखी चुनौती है। एक ओर जहां नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) को अस्त्र बनाकर भाजपा (BJP) आस्तीनें चढ़ा रही है। वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यकों पर डोरे डालने के लिए असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने जी जान लगा दिया है। ऐसे में पार्टी की भावी रणनीति तैयार करने के लिए तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने बैठक बुलाई है।

कोलकाताDec 12, 2019 / 08:11 pm

Paritosh Dube

बंगाल में तृणमूल की मुश्किलें बढ़ीं, भाजपा के हाथ में कैब, तो ओवैसी डाल रहे अल्पसंख्यकों पर डोरे

बंगाल में तृणमूल की मुश्किलें बढ़ीं, भाजपा के हाथ में कैब, तो ओवैसी डाल रहे अल्पसंख्यकों पर डोरे

कोलकाता. पश्चिम बंगाल में नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने के बाद राजनीति हवा तेजी से बदल रही है। गली-मोहल्लों में, शरणार्थियों के इलाकों में नागरिकता विधेयक की ही चर्चा है। भाजपा जहां विधेयक को बांग्लादेश से आए हिंदू शरणार्थियों की दशकों पुरानी समस्याओं का निराकरण बताकर तृणमूल कांग्रेस के संसद में अपनाए गए रुख पर सवाल खड़े कर रही है, वहीं असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन गुपचुप तरीके से राज्य में अल्पसंख्यकों वोट बैंक में सेंध मारने के प्रयास में है। इसके साथ ही वाममोर्चा व कांग्रेस के कार्यकर्ता राजनीतिक मुद्दों पर सडक़ पर उतरे हुए हैं। बहुमुखी चुनौती से घिरीं ममता पैदा हुई स्थिति का हल निकालने के लिए पार्टी सांसदों और विधायकों के साथ बैठक की तैयारी में हैं।
बताया जाता है कि राज्य की 60 से 80 विधानसभा सीटों पर बांग्लादेशी से आए हिंदू शरणार्थी निर्णायक भूमिका में हैं। भाजपा कैब के बाद इन विधानसभा क्षेत्रों में फोकस करेगी। हिंदू शरणार्थियों के सबसे बड़े वर्ग मतुआ को लेकर भी भाजपा राज्य में अपने विस्तार की संभावनाओं पर काम कर रही है। मतुआ राजनीति के केन्द्र माने जाने वाले बनगांव व राणाघाट लोकसभा केन्द्रों में भाजपा को मिली जीत के बाद सकते में आई तृणमूल को अब कैब पर जताए गए विरोध के कारण इन इलाकों में और समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
वहीं दूसरी ओर ओवैसी की पार्टी राज्य की 30 फीसदी अल्पसंख्यक आबादी को सामने रखकर चुनावी मैदान में उतरने का संकेत दे रही है। पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ताओं का दावा है कि राज्य की 50 से 60 सीटों पर उनका बूथवार संगठन तैयार हो चुका है। पार्टी समर्थकों की संख्या ढाई से तीन लाख पहुंच गई है। 15 हजार के लगभग कार्यकर्ता तैयार हो गए हैं। राज्य के पुरुलिया, दार्जिलिंग, कालिम्पोंग, झाडग़्राम और बांकुड़ा को छोडक़र सभी जिलों में पार्टी का संगठन ब्लॉक स्तर तक पहुंच गया है। वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर जनवरी 2020 में पार्टी की प्रदेश इकाई का भी गठन कर लिया जाएगा। ऐसी स्थिति में तृणमूल कांग्रेस के पास एक ओर जहां सेकुलर हिंदू मतों को बचाए रखने की चुनौती है वहीं दूसरी ओर अल्पसंख्यकों के मतों का बंटवारा नहीं होने देने की जिम्मेवारी भी है।

Home / Kolkata / बंगाल में तृणमूल की मुश्किलें बढ़ीं, भाजपा के हाथ में कैब, तो ओवैसी डाल रहे अल्पसंख्यकों पर डोरे

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो