प्लास्टिक तंबू में रहने वाले श्रमिक विकी सरकार ने बताया कि 3 माह से भी अधिक समय से उसने अपने परिजनों का चेहरा तक नहीं देखा। न तो उसकी पत्नी के साथ बातचीत हो पा रही और न ही बेटे-बेटी से मुलाकात। उसने कहा कि बहुत मुश्किल से मध्य प्रदेश से वे सभी मालदा आए। उनके पास सभी आवश्यक कागजात होने के बावजूद न गांव में घुसने दिया जा रहा और न घरवालों से मिलने दिया जा रहा है। इतना ही नहीं घरवालों को उनके समीप भोजन तक नहीं लाले दिया जा रहा है। इन श्रमिकों ने कहा कि तंबू कभी हवा में उड़ जाता है तो कभी आंधी, बरसात उनकी परेशानी बढ़ा देती है। वे एक स्थान से दूसरी जगह भागे-भागे फिर रहे। संकट की इस घड़ी में पड़ोसियों ने मुंह फेर लिया। पूर्व पार्षद और प्रशासक भी उनकी कोई सुध नहीं ले रहे हैं। इंग्लिशबाजार नगरपालिका के मुख्य प्रशासक निहार घोष ने इस संबंध में बताया कि सभी प्रवासी श्रमिकों को क्वारन्टीन सेंटर में भेजने की आवश्यकता थी। उन्हें संबंधित पार्षद ने कुछ नहीं बताया। उन्होंने कहा कि तंबू में रह रहे सभी प्रवासी श्रमिकों को क्वारन्टीन सेंटर में भेजने के बारे में विचार किया जा रहा।