दो महीने पहले दलबदल कर बना था भाजपा का बोर्ड
लोकसभा चुनाव से पहले 21 सीटों वाले गारुलिया नगरपालिका में तृणमूल कांग्रेस के 18, कांग्रेस के एक, कांग्रेस के एक, फारवर्ड ब्लाक के एक और एक निर्दल पार्षद था, लेकिन भाजपा के एक भी पार्षद नहीं था। लोकसभा चुनाव नतीजा आने के बाद चेयरमैन और नोवापाड़ा के विधायक सुनिल सिंह सहित तृणमूल कांग्रेस के 10 पार्षद, कांग्रेस के एक और एकलौते निर्दल पार्षद भान सिंह भाजपा में शामिल हो गए। तब तृणमूल कांग्रेस आठ पार्षदों के साथ अल्पमत में आ गई थी और जीरो से हिरो बनी भाजपा 12 पार्षदों के साथ गारुलिया नगरपालिका पर कब्जा जमा लिया।
लेकिन दो महीने बीतते ना बीतते चार पार्षद भाजपा का दामन छोड़ कर फिर से वापस तृणमूल कांग्रेस में लौट आए और अब भाजपा अल्पमत में आ गई है। तृणमूल कांग्रेस में लौटने वाले वालों में निर्दल पार्षद भान सिंह भी हैं।
बार-बार दल बदने वालों को स्वीकार नहीं करेगी जनता
नन्हें सिंह ने कहा कि कोई भी डर कर तृणमूल कांग्रेस में नहीं आया है। भाजपा में रह कर वे काम नहीं कर पा रहे थे। इस लिए वे तृणमूल में लौट आए। लेकिन सुनिल सिंह ने कहा कि छह-सात महीने बाद नगरपालिका चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बार-बार दल बदलने वालों ने अपना नुकसान किया है। गारुलिया की जनता इसे स्वीकार नहीं करेगी।