अनुमानित तौर पर भारत में 10000 करोड़ रुपए पंखों का बाजार है। इसमें से प्रीमियएम या स्मार्ट सिलिंग फंखों का बाजार 1500 करोड़ का है और इन पंखों के कारोबार में 25 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। कुल पंखे के कारोबार का करीब 15 से 18 प्रतिशत कभी प्रीमियएम सिलिंग और अन्य पंखे बनाने का केन्द्र रहे कोलकाता और बंगाल में होता है।
आईआीटी- बॉम्बे से स्नातक पास कर उद्यमी बने मनोज मीणा स्मार्ट बिजली के पंखे बनाने वाली कंपनी अटमबर्ग टेक्नोलॉजिज के सह-संस्थापक है। वे कहते हैं कि बाजार में 50 प्रतिशत कम बिजली खर्च में अच्छी हवा देने वाले स्मार्ट पंखों की मांग बढ़ रही है। उन्होंने बाजार में 65 प्रतिशत बिजली बचत करने वाले गुरुलिया स्मार्ट पंखे बाजार में उतारा है। बंगाल के लोग हमेशा से नई तकनीक और बचत में विश्वास करते हैं। इस लिए यहां उर्जा-सक्षम स्मार्ट पंखों की मांग अधिक है। यहां 10 प्रतिशत पंखे ऑनलाइन बिकते हैंऔर भविष्य में बढऩे की संभावनाएं हैं।
चीन से खतरा घटा
विशेषज्ञों के अनुसार भारतीय स्मार्ट बिजली पंखों का भविष्य सुनहरा होते हुए निकट भविष्य में इनमें होड़ लगने की संभावना नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में भारतीय स्मार्ट पंखों की बाजार में मांग बढऩे और प्रतिस्पर्धा का अंतर घटने से चीनी पंखों से खरतरा घटा है।