WEST BENGAL—-हाई कोर्ट ने कहा–मृत बेटे के संरक्षित वीर्य पर पिता का नहीं केवल पत्नी का हक
पिता ने मृत बेटे के संग्रहित वीर्य पर जताया था अधिकार
WEST BENGAL—-हाई कोर्ट ने कहा–मृत बेटे के संरक्षित वीर्य पर पिता का नहीं केवल पत्नी का हक
BENGAL NEWS-कोलकाता। हाई कोर्ट ने गुरुवार को एक याचिका निस्तारित करते हुए कहा कि किसी भी मृतक के संरक्षित स्पर्म पर पहला अधिकार उसकी पत्नी का है न कि पिता का। हाई कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई में यह बात कही। याचिकाकर्ता ने कहा कि उसका बेटा थैलेसीमिया का मरीज था और भविष्य में उपयोग के लिए उसके शुक्राणु दिल्ली के अस्पताल में सुरक्षित रखा गया है। हाई कोर्ट ने मृतक के पिता की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मृतक के जिस स्पर्म को दिल्ली के स्पर्म बैंक में स्टोर किया गया है, उसपर सिर्फ उसकी विधवा पत्नी का हक है। जिस शख्स ने यह अपील दायर की थी उसके बेटे की 2018 में मौत हो गई थी। मार्च 2020 में दायर याचिका में मृतक के पिता ने कहा था कि उसके बेटे का स्पर्म दिल्ली के स्पर्म बैंक में संरक्षित किया गया है। पिता ने कहा था कि उन्हें बेटे का स्पर्म बैंक से निकलवाने का अधिकार दिया जाए क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो अग्रीमेंट की एक तय अवधि के बाद वह स्पर्म बेकार हो जाएगा। याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्या की पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास इस तरह की अनुमति लेने का कोई मौलिक अधिकार नहीं। कोर्ट ने कहा कि मृतक का स्पर्म दिल्ली के स्पर्म बैंक में स्टोर किया गया था और चूंकि उसकी मौत हो गई है इसलिए इसपर पहला हक अब उसकी पत्नी का है। 2019 में दिल्ली के स्पर्म बैंक ने मृतक के पिता को पत्र लिखकर कहा था कि जिस शख्स का स्पर्म यहां स्टोर किया गया था उसके इस्तेमाल का फैसला भी उसकी पत्नी को करना होगा। इसी पत्र के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की गई थी। न्यायाधीश भट्टाचार्य को फैसला सुनाते समय संविधान के अनुच्छेद 12 पर विशेष जोर देते देखा गया। अनुच्छेद 12 में ३ भागों में मूल अधिकारों का वर्णन है। वकील के अनुसार याचिकाकर्ता ने अपने बेटे के निधन के बाद, अस्पताल में संरक्षित वीर्य को लेने के लिए अस्पताल से संपर्क किया था। अस्पताल ने उसे सूचित किया कि उसे मृतक की पत्नी से अनुमति लेनी होगी और विवाह का प्रमाण देना होगा।
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