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कोलकाता

राजस्थान के श्रद्धालुओं से मारपीट पर बिफरा हिन्दू जागरण मंच

आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 48 घंटे का दिया अल्टीमेटम

कोलकाताJan 05, 2018 / 11:14 pm

Rabindra Rai

kolkata west bengal

—गंगासागर श्रद्धालुओं को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग

–राजस्थान के श्रद्धालुओं से मारपीट की निंदा
कोलकाता. गंगासागर मेले में भाग लेने आए राजस्थान के श्रद्धालुओं से मारपीट के आरोप में शुक्रवार को हिन्दू जागरण मंच ने कड़ी निंदा करते हुए मैदान थाने में शिकायत की। मंच ने आरोपियों के खिलाफ जल्द से जल्द कार्रवाई करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए प्रशासन को चेतावनी दी है। मंच के महानगर संपर्क प्रमुख विवेक सिंह ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। सिंह ने बंगाल पुलिस सहित राज्य सरकार से मामले में अविलंब कार्रवाई करते हुए राजस्थान के श्रद्धालुओं को पर्याप्त सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की है। गंगासागर के कचूबेडिय़ा में बुधवार को राजस्थान के श्रद्धालुओं से कुछ समाजकंटकों ने मारपीट के साथ-साथ महिलाओं से भी अभद्र व्यवहार किया था। सिंह ने आरोप लगाया कि राजस्थान के श्रद्धालुओं से मारपीट की शिकायत करने के बावजूद पुलिस ने न तो रिपोर्ट दर्ज की और न ही कोई सुरक्षा बहाल की।
–तीर्थ रूप में है गंगासागर की मान्यता
हिमाच्छादित हिमालय के हिमनद से आरम्भ होकर गंगा, पर्वतों से नीचे उतरती है, और हरिद्वार से मैदानी स्थानों पर पहुंचती है, और आगे बढ़ते हुए प्राचीन बनारस व प्रयाग से प्रवाहित होती हुई, बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। बंगाल में हुगली नदी के मुहाने पर गंगा सहस्रों जलधाराओं में फूट पड़ती है तथा समुद्र में बह जाती है, उस स्थान को सागर द्वीप कहा जाता है। इस स्थल की गंगासागर नामक एक तीर्थ के रूप में मान्यता है।
–हिन्दू आस्था स्थल
लगभग 3 लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष इस मेले में आते हैं। इस स्थान को हिन्दुओं के एक विशेष पवित्र स्थल के रूप में जाना जाता है। गंगासागर की पवित्र तीर्थयात्रा सैकड़ों तीर्थयात्राओं के समान है। सुन्दरवन निकट होने के कारण मेले को कई विषम स्थितियों का सामना करना पड़ता है। तूफ़ान व ऊँची लहरें हर वर्ष मेले में बाधा डालती हैं, परन्तु परम्परा और श्रद्धा के सामने हर बाधा बोनी हो जाती है।
—पवित्र स्नान
गंगा के सागर में मिलने के स्थान पर स्नान करना अत्यन्त शुभ व पवित्र माना जाता है। स्नान यदि विशेष रूप से मकर संक्रान्ति के दिन किया जाए, तो उसकी महत्ता और भी बढ़ जाती है। मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य देव धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस अवसर पर यह स्थान बड़े मेले का केन्द्र बन जाता है। यहां पर यात्री व संन्यासी पूरे देश से आते हैं। गंगा में स्नान कर ये लोग सूर्यदेव को अघ्र्य देते हैं। मान्यतानुसार यह स्नान उन्हें पुण्य दान करता है। अच्छी फ़सल प्रदान करने के लिए धन्यवाद स्वरूप सूर्य की विशेष पूजा की जाती है। इस त्योहार पर तिल व तेल का विशेष महत्व है, इसलिए लोग इस दिन चावल का ही विशेष भोजन करते हैं।
–पिण्डदान
गंगासागर के संगम पर श्रद्धालु समुद्र को नारियल और यज्ञोपवीत भेंट करते हैं। पूजन एवं पिण्डदान के लिए बहुत से पंडागण गाय-बछिया के साथ खड़े रहते हैं, जो उनकी इच्छित पूजा करा देते हैं। समुद्र में पितरों को जल अर्पित कर
स्नान के बाद कपिल मुनि का दर्शन कपिल मन्दिर में करते हैं। गंगासागर में स्नान–दान का महत्व शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है।
–कपिलमुनि मन्दिर

स्थानीय मान्यतानुसार जो युवतियां यहां पर स्नान करती हैं, उन्हें अपनी इच्छानुसार वर तथा युवकों को स्वेच्छित वधु प्राप्त होती है। अनुष्ठान आदि के बाद सभी लोग कपिल मुनि के आश्रम की ओर प्रस्थान करते हैं तथा श्रद्धा से उनकी मूर्ति की पूजा करते हैं। मन्दिर में गंगा देवी, कपिल मुनि तथा भागीरथी की मूर्तियां स्थापित हैं।
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